Pulwama Terror Attack: जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना को मिले कार्रवाई करने की छूट
Pulwama terror attack 14 फरवरी को ही देश की स्वतंत्रता के लिए भगत सिंह, राजगुरुऔर सुखदेव ने फांसी की सजा हंसते-हंसते कुबूल की थी और इसी दिन सीआरपीएफ के जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत का जाम पिया है।
धर्मशाला, जेएनएन। Pulwama terror attack जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में वीर जवानों ने तो शहादत का जाम पिया है लेकिन आतंकियों की इस कारगुजारी से प्रश्नचिह्न अब केंद्र सरकार पर भी लगा है। कारगिल युद्ध से लेकर आज दिन तक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने कई ऐसी वारदातोंं को अंजाम दिया है। हालांकि इसका जवाब सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक से दिया है पर जम्मू - कश्मीर में आतंकियों पर असर नहीं दिख रहा है। इसका कारण यह भी है कि सर्जिकल स्ट्राइक पर कई दलों ने आपत्तियां जताई थीं और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों ने अपने सुर पाकिस्तान से मिलाए थे। 14 फरवरी को ही देश की स्वतंत्रता के लिए भगत सिंह, राजगुरुऔर सुखदेव ने फांसी की सजा हंसते-हंसते कुबूल की थी और इसी दिन सीआरपीएफ के जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत का जाम पिया है। कश्मीर में अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ केंद्र सरकार को सेना व अद्र्धसैनिक बलों के जवानों को किसी भी कार्रवाई के लिए छूट देनी चाहिए।
जब तक भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में आक्रामक रुख अपनाकर पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों का जवाब नहीं देगी, तब तक यह खून खराबा चलता रहेगा। हर बार शांति वार्ता की दलील दी जाती है, लेकिनपाकिस्तान आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।
मेजर विजय सिंह मनकोटिया अध्यक्ष, पूर्व सैनिक लीग
जम्मू-कश्मीर में सेना के हाथ खुले रहने चाहिए। हमेशा सैन्यकर्मियों पर हमले होते हैं, लेकिन उन्हें अपने स्तर पर हाथ खोलने की इजाजत अभी तक नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक एक बार नहीं, बल्कि बार-बार होनी जरूरी है।
-कर्नल जयगणेश, शहीद स्मारक समिति धर्मशाला के सलाहकार
आतंकियों की देश के भीतर ही कुछ लोग सहायता कर रहे हैं। सबसे पहले सरकार को इन्हें खत्म करना चाहिए। देशद्रोह की बयानबाजी करने वाले नेताओं की अभिव्यक्ति की आजादी छीन लेनी चाहिए। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
-एनके कालिया, शहीद सौरभ कालिया के पिता
20 साल में बड़े आतंकी हमले
10 फरवरी 2018 :
जम्मू स्थित सुंजवां कैंप में घुसकर आतंकियों ने सेना के क्वॉर्टरों में अंधाधुंध गोलीबारी की। इसमें सेना के पांच जवान शहीद जबकि एक आम नागरिक भी मारा गया था। करीब दो दिन तक चली मुठभेड़ में सेना ने चारों आतंकियों को मार गिराया था।
18 सितंबर 2016 :
उड़ी में हथियारों से लैस आतंकियों ने सेना के मुख्यालय पर हमला किया। इसमें 18 जवान शहीद हो गए, जबकि 30 घायल हुए। जवाबी कार्रवाई में सेना ने चारों आतंकियों को मार गिराया था।
25 जून, 2016 :
श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर में पांपोर के पास फे्रस्टबल में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकियों ने हमला किया।
2 जनवरी, 2016 :
पठानकोट एयरबेस उत्तर भारत के सबसे बड़े एयरबेस में से एक है। इस बेस पर दो जनवरी की रात में आतंकियों ने हमला किया। तीन दिन तक चली मुठभेड़ में सात जवान शहीद हो गए, जबकि 20 से ज्यादा घायल हुए थे।
7 दिसंबर, 2015 :
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिला स्थित बिजबिहाड़ा के सामथन में ग्रीन टनल के पास सीआरपीएफ कर्मियों के काफिले पर आतंकियों ने गोलीबारी की। इसमें छह सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए थे।
31 मई, 2015 :
कुपवाड़ा जिले के टंगडार सेक्टर में सेना ने ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकी हमला विफल कर दिया। इस कार्रवाई में चार आतंकी मारे गए थे।
20 मार्च, 2015 :
सेना की वर्दी में आतंकियों के एक फिदायीन दस्ते ने कठुआ जिले में एक पुलिस थाने पर हमला किया जिसमें सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हुए। दो आतंकी मार गिराए जबकि दो नागरिकों की भी मौत हुई।
5 दिसंबर, 2014:
उड़ी सेक्टर के मोहरा में सेना के 31 फील्ड रेजिमेंट आयुध शिविर पर हथियारबंद आतंकियों ने हमला किया। इसमें एक लेफ्टिनेंट कर्नल और सात जवान और तीन पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। वहीं, छह आतंकी मारे गए थे।
26 सितंबर, 2013 :
कठुआ और सांबा में दो आत्मघाती हमले हुए। तीन आतंकी मारे गिराए। कठुआ जिले में हुए एक हमले में मारे गए लोगों में चार पुलिसकर्मी और दो नागरिक शामिल थे। वहीं, सांबा जिले में हुए हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल सहित चार सैन्यकर्मी शहीद हुए थे।
06 जनवरी 2010 :
लश्कर आतंकियों ने लाल चौक पर सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला किया। दोनों आतंकियों को मार गिराया। एक नागरिक और पुलिसकर्मी इसमें शहीद हुए। वहीं, 12 लोग घायल भी हुए थे।
27 अगस्त 2008:
जम्मू के बाहरी इलाके काना चक सेक्टर में तीन फिदायीन आतंकियों ने हमला किया। तीन सेना के जवान शहीद हुए। पांच नागरिकों की भी घटना में मौत हुई थी।
12 अक्टूबर 2007 :
डल लेक के किनारे स्थित बुलेवर्ड रोड स्थित सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। होटल ड्यूक में छुपा एक आतंकी ढेर हुआ। तीन सीआरपीएफ जवान घटना में जख्मी हुए।
23 नवंबर 2005 :
श्रीनगर के डाउन टाउन क्षेत्र स्थित हवाल इलाके में सीआरपीएफ कैंप पर फिदायीन हमला। ग्रेनेड हमले में तीन सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए। जबकि एक पुलिसकर्मी सहित तीन जवान जख्मी हो गए।
09 दिसंबर 2004 :
शोपियां स्थित एसओजी कैंप पर हमला। दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि एक डीएसपी सहित चार लोग जख्मी हो गए।
18 नवंबर 2003 :
श्रीनगर स्थित 15 कोर हेडक्वॉर्टर में फिदायीन हमला। एक जवान शहीद, दो अन्य जख्मी।
25 अप्रैल 2003 :
बांडीपोरा में बीएसएफ कैंप फिदायीन हमले में दो आतंकी ढेर। तीन बीएसएफ जवान शहीद। एक नागरिक की भी मौत। चार जवानों सहित सात जख्मी।
28 जून 2003 :
जम्मू के सुजआं इलाके में सेना की डोगरा रेजीमेंट पर फिदायीन हमला। 12 जवान शहीद। एक लेफ्टिनेंट सहित सात जख्मी। दोनों फिदायीन हमले में मारे गए।
14 मई 2002 :
कालू चक स्थित सैन्य क्षेत्र में फिदायीन हमले में तीन आतंकी ढेर। 36 सैन्यकर्मी और उनके परिवार वालों की मौत, 48 जख्मी।
04 दिसंबर 2001 :
कुपवाड़ा में लश्कर के तीन सदस्यीय आत्मघाती दस्ते ने सुरक्षा बलों के कैंप पर हमला किया। तीनों आतंकी ढेर। दो जवान शहीद। दो जवान सहित पांच जख्मी।
3 नवंबर, 1999 :
श्रीनगर के बादामी बाग में आतंकियों ने 15 कोर पर फिदायीन हमला किया। इस हमले में दस सैनिक शहीद हो गए।