बलिदानी को सेल्यूट कर पत्नी व बच्चों ने दी अंतिम विदाई
बच्चो अब तुम्हारे पापा इस दुनिया में नहीं हैं। देश की रक्षा के लिए उन्होंने प्राणों की आहुति दी है। उनकी आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना करो। भगवान से यही दुआ मांगो कि इसी घर में दोबारा उनका जन्म हो। सीआरपीएफ के बलिदानी अशोक कुमार की अंतिम यात्रा से पहले उनकी पत्नी सुषमा देवी ने बच्चों को पिता की शहादत के बारे में बताया तो वहां मौजूद लोग आंसुओं को नहीं रोक पाए। शहीद की पत्नी के ये शब्द जैसे दिलों को बींध रहे थे सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया था लेकिन आधे ही सफर में आप मेरा साथ छोड़कर चले गए।
संवाद सहयोगी, पालमपुर : 'बच्चो अब तुम्हारे पापा इस दुनिया में नहीं हैं। देश की रक्षा के लिए उन्होंने प्राणों की आहुति दी है। उनकी आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना करो। भगवान से यही दुआ मांगो कि इसी घर में दोबारा उनका जन्म हो।' सीआरपीएफ के बलिदानी अशोक कुमार की अंतिम यात्रा से पहले उनकी पत्नी सुषमा देवी ने बच्चों को पिता की शहादत के बारे में बताया तो वहां मौजूद लोग आंसुओं को नहीं रोक पाए। शहीद की पत्नी के ये शब्द जैसे दिलों को बींध रहे थे, 'सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया था, लेकिन आधे ही सफर में आप मेरा साथ छोड़कर चले गए।'
देहरू गांव में कुछ ऐसे ही वातावरण के बीच बलिदानी को सेल्यूट कर पिता सरवण कुमार, पत्नी व बच्चों ने अंतिम विदाई दी। बलिदानी की पत्नी व बच्चे भी अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचे थे। मुखाग्नि 11 वर्षीय बेटे आदित्य ने दी और अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से किया गया। अंतिम यात्रा में सीआरपीएफ के अधिकारियों, जवानों व सैकड़ों स्थानीय लोगों ने भाग लिया। इस दौरान गांव अमर रहे अशोक कुमार के जयघोष से गूंज उठा।
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इन्होंने दी श्रद्धांजलि
बलिदानी के घर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व डीजीपी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने श्रद्धांजलि दी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने शोक संतप्त परिवार को ढांढस भी बंधाया। उन्होंने कहा कि बलिदानी पर राष्ट्र को गर्व है। इस मौके पर सीआरपीएफ के आइजी विजय कुमार, डीआइजी सुनील थोर्प ने सीआरपीएफ व एसडीएम धीरा विकास जम्वाल व डीएसपी अमित शर्मा ने प्रशासन व पुलिस की ओर से श्रद्धाजंलि दी।
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बलिदानी का परिचय
बलिदानी अशोक कुमार सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन में श्रीनगर में तैनात थे। श्रीनगर-बारामूला राजमार्ग पर लावेपोरा में आतंकी हमले में वह वीरगति को प्राप्त हुए थे। अशोक कुमार सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल 2004 में भर्ती हुए थे। शुक्रवार रात पार्थिव देह सुलह विधानसभा क्षेत्र के तहत देहरु गांव में पहुंची थी। अशोक कुमार माता सेना देवी, पिता सरवन कुमार, पत्नी सुषमा देवी, बेटा आदित्य व बेटी रिद्धिमा को छोड़ गए हैं।
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बेटे की शहादत पर है गर्व
पिता सरवन कुमार का कहना है कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। दुश्मनों के इस कृत्य से वह भले ही आहत हैं लेकिन वह इसका बदला लेना चाहते हैं और इसके लिए सरकार उन्हें सेना में जाने का अवसर दे। बकौल सरवन, बेटा अच्छे स्वभाव के कारण सबका चहेता था और वह हर किसी की सहायता करता था।
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मां सेना देवी से कहा था, तीन साल बाद लौटूंगा
आंसुओं के सैलाब को रोकते हुए मा सेना देवी कहती हैं कि उन्होंने अशोक कुमार को तबादला श्रीनगर न करवाने की सलाह दी थी। इस पर अशोक ने कहा था कि क्या देहरु में ही तबादला करवा लूं। बकौल सेना देवी, अशोक ने श्रीनगर जाने की ही जिद पकड़ी थी। श्रीनगर जाने के बाद कहा कि था कि मां तीन साल बाद लौटूंगा लेकिन किसी को पता नहीं था कि बेटा तिरंगे में लिपटकर आएगा।