पौंग बांध विस्थापितों को अब व्यवस्था से आस
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : वर्षो से अपनी माटी से बिछुड़ने का दर्द झेल रहे पौंग बांध विस्थापितों क
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : वर्षो से अपनी माटी से बिछुड़ने का दर्द झेल रहे पौंग बांध विस्थापितों की नजर अब छह जुलाई को शिमला में होने वाली हाई पावर कमेटी की बैठक पर टिकी हुई है। बैठक में पौंग विस्थापितों को उनके हक में फैसला आने की पूरी उम्मीद बंधी हुई है। हालांकि विस्थापित हक में फैसला न आने की स्थिति में पहले ही जलसमाधि लेने की चेतावनी दे चुके हैं। रविवार को नगरोटा सूरियां में पौंग विस्थापित राहत एवं पुनर्वास समिति के बैनर तले प्रभावित लोग अपना गुस्सा दिखा चुके हैं।
शिमला में छह जुलाई को होने वाली हाई पावर कमेटी की बैठक में जल संसाधन मंत्रालय के अवर सचिव सहित हिमाचल और राजस्थान सरकार के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। बैठक में चर्चा का यही मसला रहेगा कि बांध विस्थापितों के हितों की रक्षा किस प्रकार की जाए। मौजूदा स्थिति यह है कि अपने घर और जमीन छोड़कर गए लोगों का अभी तक पुनर्वास नहीं हो पाया है। ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जो आज भी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। 1964 में बना था पौंग बांध
पौंग बांध का निर्माण कार्य 1964 में शुरू हुआ था। 1973 में बांध में जलभराव शुरू हुआ। 307 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली पौंग झील के कारण 24,310 परिवार विस्थापित हुए थे। इनमें 16,100 परिवार भू मालिक थे और शेष भूमिहीन। बांध बनने से नगरोटा सूरियां, देहरा, गुलेर, जवाली क्षेत्र के लोग प्रभावित हुए हैं।
अब तेज हुआ प्रभावितों का संघर्ष
सालों से बांध विस्थापित अपने हक की लड़ाई के लिए आंदोलनरत हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई भी सुनवाई कहीं नहीं हुई है। चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की। उन्हें मात्र आश्वासन ही मिलते रहे हैं। अब विस्थापितों ने एकजुट होकर आरपार की लड़ाई का मन बना लिया है। उन्हें रंज इस बात क भी है कि उनके पूर्वज अपनी जमीन के हक मिलने के इंतजार में दम तोड़ गए, तो कई परिवारों के सदस्यों को राजस्थान में जान गंवानी पड़ी। अब विस्थापितों की तीसरी पीढ़ी हक के लिए संघर्ष कर रही है। प्रदेश सरकार यदि विस्थापितों को जल्द हक नहीं दिलाती है तो पौंग बांध का पानी राजस्थान को जाने से रोक दिया जाएगा। समिति चेतावनी जारी कर चुकी है कि हक न मिला तो जलसमाधि से भी पीछे नहीं हटेंगे। अब विस्थापितों को राजस्थान में भूमि नहीं चाहिए बल्कि नर्मदा बांध की तर्ज पर वर्तमान जमीन की कीमत के मुताबिक 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए।
-हंसराज, अध्यक्ष पौंग बांध समिति।