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मदद के लिए बढे़ हाथ, बीपीएल सूची में शामिल होगा नाम

जागरण टीम, भवारना/धर्मशाला : पहले कुछ परिवारों पर कुदरत ने रहम नहीं दिखाया और बाद में

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Apr 2018 06:40 AM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 06:40 AM (IST)
मदद के लिए बढे़ हाथ, बीपीएल सूची में शामिल होगा नाम
मदद के लिए बढे़ हाथ, बीपीएल सूची में शामिल होगा नाम

जागरण टीम, भवारना/धर्मशाला : पहले कुछ परिवारों पर कुदरत ने रहम नहीं दिखाया और बाद में गरीबी रेखा से भी नीचे की जिंदगी काट रहे ऐसे परिवारों को अगर पंचायत भी बीपीएल सूची से बाहर कर दे तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ये बिना किसी आर्थिक सहारे के कैसे जीवन यापन कर पाएंगे। सुलह हलके की गरला पंचायत में ऐसे ही कुछ मामले सामने आए हैं, जिन्होंने न केवल व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लगा दिया है बल्कि बीपीएल सर्वे की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठाए हैं।

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दैनिक जागरण की ओर से ऐसा एक मामला उजागर करने के बाद अब इन लोगों को बीपीएल सूची में शामिल करने की तैयारी होने लगी है। साथ ही कई समाजसेवी भी गरीबी के दौर से गुजर रहे इन लोगों की मदद के लिए आगे बढ़ने लगे हैं। पंचायत प्रधान ने भी माना है कि कल्याण चंद के परिवार का नाम गलती से बीपीएल सूची से बाहर हो गया था और अगले कोरम में इसे शामिल किया जाएगा। इस मामले के उजागर होने के बाद गरला पंचायत में कई और मामले भी सामने आने लगे हैं। अब बीडीओ भेडू महादेव ने भी आश्वासन दिया है कि पात्र लोगों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। साथ गांव के ऐसे कुछ परिवार एसडीएम से भी मिले हैं।

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यह था मामला

हैंजा गांव के कल्याण चंद मजदूरी कर परिवार पाल रहे थे। दो बेटियों व पत्नी सहित एक दिव्यांग भाई की जिम्मेदारी भी उन पर थी, लेकिन कुछ साल पहले सांस की बीमारी ने उन्हें घेर लिया। जो जमा पूंजी थी वह भी खत्म हो गई और हालात ऐसे हो गए कि छह साल पहले बिजली का बिल न देने पाने के कारण विभाग ने उनका कनेक्शन भी काट दिया। फिर भी वह माह में 10 दिन दिहाड़ी लगाकर परिवार को पालते रहे, लेकिन पिछले शुक्रवार को उनका निधन हो गया। पहले यह परिवार बीपीएल में था, लेकिन कुछ दिन पहले इस सूची से ही बाहर कर दिया गया। नहीं, तो परिवार के मुखिया की मौत के बाद भी सरकार से कुछ मदद मिल जाती।

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अब यह भी आया सामने

ऐसा ही हाल गांव के कुछ और परिवारों का भी है। गांववासी सुनीता देवी के पति की चार माह पहले मौत हो चुकी है। दो छोटे बच्चे एक तीसरी व एक चौथी में पढ़ाई कर रहा है लेकिन बीपीएल सूची में नाम तक दर्ज नहीं हो पाया है। गांव के सुरेंद्र कुमार की आर्थिक स्थिति भी बेहतर नहीं है। तीन बेटियों व पत्नी का पालन दिहाड़ी लगाकर कर रहे इस परिवार को भी बीपीएल सूची से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तीसरा मामला भी एक ऐसे परिवार से है, जिसके मुखिया की मजदूरी करते हुए हुई एक घटना में टांग कट चुकी है। उसकी दो बेटियां व एक छह माह का बेटा है। पवन कुमार के सहारे उसका परिवार दो समय की रोटी खाता है लेकिन उसका नाम भी इस सूची में नहीं है।

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सहायता के लिए आगे आए समाजसेवी

दैनिक जागरण की ओर से मामले को उजागर करने के बाद समाजसेवी इस परिवार की मदद के लिए आगे आए हैं। समाजसेवी संजय शर्मा ने बताया कि उन्हें इस मामले की जैसी ही जानकारी मिली तो वे गांव पहुंचे। परिवार की हालत काफी दयनीय है। घर में छह साल से बिजली नहीं है। परिवार के मुखिया की पिछले सप्ताह मौत हो गई है। दो बेटियां, पत्नी व एक दिव्यांग भाई कल्याण चंद पर आश्रित थे। अब उन्हें बीपीएल सूची से भी बाहर कर दिया जाए तो यह अन्याय है। कहा कि इसके खिलाफ वे आवाज उठाएंगे। उन्होंने कुछ मदद भी संबंधित परिवार को उपलब्ध करवाई है। इसके अलावा श्रीमद्भागवत समाज सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल डोहरूने भी पीड़िता के घर जाकर पाच हजार रुपये की सहायता की है। समिति अब हर माह पाच सौ रुपये की मदद बतौर पेंशन के रूप में भी देगी। समिति अध्यक्ष ने तीन माह की अग्रिम पेंशन दे दी है। उन्होंने बताया कि दैनिक जागरण के माध्यम से ही उन्हें इस बात का पता चला है।

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'मैं पंचायत का प्रधान रह चुका हूं। मेरे समय में ये सभी परिवार बीपीएल में थे। यह काफी गरीब हैं और अब फिर से इन्हें शामिल करवाने के लिए आवाज उठा रहा हूं। '

- सुरेश कुमार, उपप्रधान, गरला पंचायत।

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'कल्याण चंद के परिवार का नाम गलती से बीपीएल सूची से कटा है। इसे ठीक किया जाएगा। इसके अलावा जो भी लोग बीपीएल के नियमों को पूरा करते होंगे, उन्हें भी सूची में अगले कोरम में शामिल किया जाएगा।'

-निशा देवी, प्रधान, गरला पंचायत।

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'यह मामला मेरे ध्यान में आपके माध्यम से आया है। इसको लेकर मैं जांच करूंगा। किसी पात्र से अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।'

-सिकंदर, बीडीओ, भेडू महादेव, सुलह


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