धान को रोग, दर्द किसानों का बढ़ा
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पहले कम बारिश के कारण इंद्रदेव भगवान ने किसानों पर कहर ढाया। कम बरसात से किसानों को धान की खेती करना महंगा पड़ा। अब धान की बालियां निकल रही हैं तो बीमारी लग गई है। बालियों पर काले दाने निकल रहे हैं और इससे किसानों का दर्द बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञ इसे खुली कंगियारी रोग बता रहे हैं।
इन हालात में किसान परेशान हो गए हैं, क्योंकि उन्हें तीन माह की मेहनत के बाद सिवाय घास के कुछ भी हाथ नहीं लगने वाला है। चिंतनीय यह है कि कृषि विशेषज्ञ भी तर्क दे रहे हैं कि इस समय धान के आकार के समय इस बीमारी का इलाज भी संभव नहीं है। उनका कहना है कि 15 दिन पहले ही किसानों को दवा का छिड़काव करना चाहिए था। कांगड़ा जिले में एक लाख तीन हजार हेक्टेयर भूमि में खेती होती है और 33 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल उगाई जाती है।
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क्या है खुली कंगियारी रोग
इस रोग के कारण धान की बालियों में दानों का आकार बहुत बड़ा हो जाता है। इसे तोड़ने पर काले या गहरे भूरे रंग का पाउडर बन जाता है। फसल कटाई के बाद इन दानों को धान की उपज से अलग करना कठिन हो जाता है। इससे पैदावार भी काफी कम हो जाती है।
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बचाव के लिए क्या करें
रोग के लक्षण दिखने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा का छिड़काव करना चाहिए। इस रोग की रोकथाम का यही तरीका है। ढाई से तीन ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड एक लीटर पानी में डालकर फसल में छिड़काव करना चाहिए। इस प्रक्रिया को 15 दिन बाद फिर दोहराना चाहिए।
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किन क्षेत्रों में लगी है बीमारी
कांगड़ा जिले के पालमपुर, डाढ, मलां, नगरोटा बगवां, सहौड़ा, बैदी, अब्दुल्लापुर व भडियाड़ा क्षेत्रों में धान की फसल बीमारी की चपेट में आई है।
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इस दफा कम बारिश के बावजूद पिछले साल के मुकाबले धान की अच्छी फसल थी। जब बालियां निकली तो दाने काले हो गए हैं। इससे पूरी फसल खराब हो गई है। सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करे।
-कुशल सिंह।
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लॉकडाउन के दौरान हमारे परिवार के सभी सदस्यों ने खेतों में काफी समय लगाया था। धान की फसल बड़ी मेहनत ने तैयार की थी लेकिन अब काले दाने निकल रहे हैं। सरकार तत्काल मदद करे।
-बेअंत सिंह
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इस बार भी जरूरत के अनुसार सभी कीटनाशक खेतों में डाले थे। रोपाई के बाद दवा का छिड़काव भी किया था लेकिन परिणाम शून्य हो गया है। दाने काले होने से चिंता सताने लगी है।
-अरुण धीमान
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बीमारी ने सभी किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बीमारी और उत्पादन में गिरावट के कारण ही किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। सरकार को क्षेत्र के किसानों की सहायता करनी चाहिए।
-प्रताप चंद
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धान की फसल में बालियां निकलने से करीब 15 दिन पूर्व दवा का छिड़काव करना होता है। अब इस बीमारी पर नियंत्रण पाना संभव नहीं है।
-डॉ. कुलदीप धीमान, उपनिदेशक कृषि विभाग, कांगड़ा। प्रस्तुति: मुनीष गारिया, धर्मशाला