माताएं बोली, हादसे की वजह ही बता दो सरकार
अपने 24 बच्चों को खो चुके जिला कांगड़ा के नूरपुर के खुआड़ा गांव की माताएं अब अपने बच्चों को न्याय दिलाने के लिए हिमाचल के विधायकों की पत्नियों को पत्र भेजेंगी।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला :
सरकार.. छह माह हो गए, लेकिन हमें अब तक यह भी नहीं पता है कि हमारे जिगर के टुकड़ों की मौत की वजह क्या थी? कोई कहता है कि चालक को दिल का दौरा पड़ा था, तो कोई सड़क की खराब हालत को हादसे की वजह बता रहा है। लेकिन हमने अपने 24 बच्चे खोए, पर अभी तक हमें कोई यह नहीं बता रहा है कि हादसे की वजह क्या थी? नूरपुर के मकवाल-खुआड़ा मार्ग पर चेलियां में स्कूल बस के खाई में गिरने से हादसे का शिकार हुए बच्चों की माताओं ने धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि अब वे अपने बच्चों को न्याय दिलाने के लिए हिमाचल के विधायकों की पत्नियों को पत्र भेजेंगी।
उन्होंने कहा कि बच्चों को न्याय दिलाने के लिए डीसी कांगड़ा के दरबार में नाक भी रगड़ ली पर किसी ने सुनवाई नहीं की। चार पोते व पोतिया को खो चुकी सुरक्षा देवी रोते हुए कहती है कि, 'सरकार कम से कम इस हादसे की वजह दो बता देती। हमें आज तक वजह नहीं बताई गई। जहां बस गिरी सड़क की हालत खराब थी। सड़क का हिस्सा ही गिरा हुआ था। कई बार लोगों ने विधायक से लेकर विभाग के अधिकारियों को बताया, मगर कोई नहीं जागा। जब गांव के 24 चिराग व चार अन्य लोग मर गए, तो विभाग को सड़क की याद आने लगी है। सड़क के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं। अगर इनके बच्चों को कुछ हुआ होता, तो भी क्या ये अधिकारी ऐसे ही करते।
हादसे में शिकार बच्चों के अभिभावकों के साथ धर्मशाला पहुंचे समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार व इसके अधिकारी इस हादसे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। अगर सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच नहीं करवाई, तो सभी अभिभावक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली रवाना होंगे और उनके समक्ष इस मामले को उठाएंगे।
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विधायकों की पत्नियों से यह लगाई गुहार
बच्चों की माता मीना कुमारी, मनोज कुमारी, रेखा देवी, रीमा देवी, सरला देवी, मंगला देवी व कमला देवी ने रोते हुए कहा कि इस हादसे को वो जिदंगी भर नहीं भूल सकती हैं। सरकार से हमें केवल इतना चाहिए कि इस हादसे के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। उन्होंने हिमाचल के 68 विधायकों की पत्नियों को अपनी पीड़ा बताते हुए कहा, 'बहनों आज भी हम माताएं तड़प रही हैं। मन नहीं समझता है कुछ भी, आज भी कई माताएं सुबह उठकर बच्चों के स्कूल बैग, टिफिन तैयार करती हैं। सोचो बहनों हम पर क्या बीतती होगी।
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यह है मामला
10 अप्रैल को नूरपुर के मकवाल-खुआड़ा मार्ग में चेलियां के निकट एक स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। हादसे में 24 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी। सभी 24 बच्चे खुआड़ा गांव के थे। आज तक इस हादसे के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।