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नूरपुर निजी बस हादसा: ठेहड़ पंचायत केखुआड़ा गांव में मरघट सी खामोशी

रविवार तक चक्की दरिया के ठीक ऊपर पहाड़ी में बसे इस गांव में बेहतर भविष्य की उम्मीदें जगमगा रही थीं... वहां मंगलवार को उदासी में लिपटी तबाही फैली थी।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 10:41 AM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 02:22 PM (IST)
नूरपुर निजी बस हादसा: ठेहड़ पंचायत केखुआड़ा गांव में मरघट सी खामोशी
नूरपुर निजी बस हादसा: ठेहड़ पंचायत केखुआड़ा गांव में मरघट सी खामोशी

धर्मशाला, जेएनएन। प्रदेश सरकार ने नूरपुर बस हादसे में बच्चों की मौत के बाद राज्यस्तरीय हिमाचल दिवस समारोह को अब इंदौरा की बजाय शिमला के रिज मैदान में मनाने का फैसला लिया है। इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है। अब जिला कांगड़ा में आगामी दस दिन तक किसी भी तरह के सांस्कृतिककार्यक्रम नहीं होंगे। रिज पर होने वाले राज्यस्तरीय समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज भी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही हिमाचल दिवस समारोह के जिलास्तरीय कार्यक्रम में भी बदलाव किया गया है।

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बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा अब शिमला की बजाय धर्मशाला में जिलास्तरीय हिमाचल दिवस समारोह की अध्यक्षता करेंगे। प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज भी धर्मशाला में होने वाले जिलास्तरीय समारोह में उपस्थित रहेंगे। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह किन्नौर जिले के रिकांगपिओ में जिलास्तरीय समारोह की अध्यक्षता करेंगे। 

12  बच्चों को एक साथ विदाई

नूरपुर उपमंडल की ठेहड़ पंचायत में मंगलवार को अजीब सा सन्नाटा था... सन्नाटे को कुछ चीर रहा था तो वह था चीखो पुकार का मंजर... रविवार तक चक्की दरिया के ठीक ऊपर पहाड़ी में बसे इस गांव में बेहतर भविष्य की उम्मीदें जगमगा रही थीं... वहां मंगलवार को उदासी में लिपटी तबाही फैली थी। 

निजी स्कूल बस हादसे में सबसे अधिक तबाही अगर किसी गांव की हुई है तो वह है खुआड़ा। इस गांव के 14 मासूमों को यह हादसा लील गया है। साथ ही बच्चों के सहारे सुनहरे भविष्य की राह देख रहे परिजनों को हादसा एक ऐसा दर्द दे गया है जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाए। मंगलवार को खुआड़ा गांव के 12 बच्चों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। हादसे में ठेहड़ पंचायत के 20 लोगों की मौत हुई है। जिस स्थान पर यह हादसा हुआ है, खुआड़ा वहां से महज महज सौ मीटर आगे है यानी चंद कदम पहले ही मौत ने इन बच्चों को शिकार बना लिया। हादसे के समय सड़क किनारे माताएं बच्चों के आने का इंतजार कर 

रही थीं, लेकिन हादसा ऐसा इंतजार दे गया जो अब कभी पूरा नहीं होगा। मंगलवार को गांव में मरघट सी खामोशी थी।

परिवार के चार बच्चों को निगल गया हादसा

हादसा खुआड़ा गांव के एक ही परिवार के चार बच्चों को लील गया है। दो भाइयों के चार बच्चों की मौत हो गई है। जिस आंगन में रोज बच्चों का शोर होता था वहां चार बच्चों की अर्थियां सज रही थीं। गांव के राजेश जंबाल व नरेश सिंह के चार बच्चों की मौत हुई है। पोस्टमार्टम के बाद जब शव आंगन में पहुंचे तो हर ओर चीखो पुकार थी। 

दो बच्चों भविष्य व पलक को खो चुकी राजेश जंबाल की पत्नी कुसुमलता रो-रोकर बेहाल थी। वह कह रही थी, हे भगवान मैंने दोनों बच्चे आपको दे दिए हैं अब मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं हैं। कुसुमलता रो-रोकर कहती है, सोमवार सुबह जब वह घूमने गई तो भविष्य को नहीं लेकर गई। जब लौटी तो बेटा कह रहा था आज न सही, लेकिन कल घूमने जरूर लेकर चलना लेकिन वह सुबह अब कभी नहीं आएगी। बेटा रोज चॉकलेट मांगता था। कुछ देर बेसुध होकर कुसुमलता कहती है कि बेटी पलक नर्स बनना चाहती थी। पहले सोचा था गांव के ही स्कूल में पढ़ा लूंगी लेकिन अंग्रेजी माध्यम में पढऩे की ख्वाहिश के कारण बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना शुरू किया लेकिन क्या पता था, यह हो जाएगा।

नरेश की पत्नी किरण का भी बुरा हाल है। वह कहती है सब वोट मांगने आते हैं लेकिन सड़क किसी ने ठीक नहीं करवाई। अगर कुछ किया होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता। हादसे में किरण के दो बच्चे नतिक व दीक्षा की मौत हुई है। हादसे में इस परिवार में राजेश जंबाल की बेटी सिमरन ठीक है। सिमरन ने दसवीं के पेपर दिए हैं। वह बार-बार बाहर जाकर उस राह को देख रही थी जहां से उसके भाई-बहन घर आते थे।  

पहली बार बस्ता उठा स्कूल गया था परनीश खुआड़ा गांव के हार गतला के एक परिवार को भी हादसा गहरे जख्म दे गया है। हादसे में रघुनाथ सिंह का साढ़े तीन साल का बेटा परनीश ठाकुर काल का ग्रास बना है। ताया हरदेव सिंह बताते हैं कि परनीश को प्यार से सब ठाकुर कहते थे।

ठाकुर स्कूल के नाम पर काफी खुश था। उसे वीरवार से ही स्कूल भेजना शुरू किया था। उसकी बहन पलक स्कूल जाती है। ऐसे में ठाकुर को भी स्कूल की आदत पड़ जाए, इसलिए उसे भी भेजा था। पिता रघुनाथ रोते हुए बताते हैं कि ठाकुर सोमवार को काफी खुश था। दादा रमेश ठाकुर के लिए बैग लेकर आए थे।

सोमवार सुबह वह मां व बहन के साथ खुद नया बैग उठाकर गया। उनका घर सड़क से करीब एक किमी नीचे दुर्गम क्षेत्र में है। बावजूद ठाकुर सड़क तक पहुंचा। मां तीन बजे उसका इंतजार कर रही थी लेकिन उसकी आंखों के सामने कुछ दूरी पर बस गहरी खाई में समां गई। हादसे में बेटी पलक बच गई है, लेकिन अब उसे भाई कभी नहीं मिल पाएगा।

स्कूल में था सन्नाटा

जीर राम सिंह मेमोरियल हाई स्कूल गुरचाल में मंगलवार को सन्नाटा था। स्कूल का गेट खुला था, लेकिन अंदर कुछ नहीं था। दोपहर तीन बजे जहां ठीक एक दिन पहले बच्चों की छुट्टी के बाद खुशी का माहौल था आज वहां खामोशी थी।

स्थानीय बाशिंदे नारायण सिंह बताते हैं किखुआड़ा गांव में मीडिल तक सरकारी स्कूल है लेकिन अधिकतर बच्चे गुरचाल में वजीर राम सिंह स्कूल में पढऩे जाते थे। उन्होंने बताया कि इसके दो कारण हैं कि यह निजी स्कूल फीस कम लेता है और इसके संचालक के ससुराल खुआड़ा में है। स्कूल संचालक का व्यवहार अच्छा है, ऐसे में काफी बच्चे इसी विद्यालय में पढऩे जाते थे।


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