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विचित्र पशु प्रेम से समाज को सीख

...................... शिवालिक नरयाल भवारना आधुनिकता के दौर में य

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 05:09 AM (IST)
विचित्र पशु प्रेम से समाज को सीख
विचित्र पशु प्रेम से समाज को सीख

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शिवालिक नरयाल, भवारना

आधुनिकता के दौर में युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता को अपना रही है। साथ ही बदलते परिवेश में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी पशुओं को बेसहारा छोड़ रहे हैं। ऐसे में कांगड़ा जिले के भवारना गांव का एक बुजुर्ग दंपती गाय और बैल को इसलिए नहीं पाल रहा है कि बैल से खेतों की जुताई करेंगे और गाय दूध देगी। अब भले ही ये दोनों बेजुबान उनके किसी काम के नहीं हैं लेकिन परिवार के सदस्यों का कहना है वे चाहकर भी इन्हें खुले में नहीं छोड़ सकते हैं। दंपती का मानना है कि दोनों बेजुबानों का उनके सिवाय है भी कौन।

भवारना पंचायत के वार्ड छह निवासी 79 वर्षीय विचित्र सिंह ने अपने दृष्टिकोण से उन लोगों को सीख दी है, जो मतलब निकलने के बाद पशुओं को बेसहारा सड़क पर छोड़ जाते हैं। सेना से करीब 35 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त विचित्र सिंह ने दूसरी नौकरी करने की बजाय खेतीबाड़ी का फैसला लिया और साथ में पशुधन पालने का निर्णय लिया। 18 कनाल भूमि पर खेती शुरू की। खेतों की जुताई के लिए दो बैल और घर में दूध के लिए गाय भी पाली। समय के बदलाव ने प्राकृतिक खेती की जगह आधुनिक खेती ने ले ली। साथ ही बैलों की जगह ट्रैक्टरों ने ले ली। आज उनकी खेती भी भाइयों के बंटवारे से सिमटकर चार कनाल रह गई है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कृषि और पशुधन को आज भी अपनाए रखा है। आज भी वह उसी गाय और उसके बछड़े, जो कि अब बैल बन गया है उसे बिना लालच के पाल रहे हैं। गाय पिछले कुछ साल से दूध नहीं दे रही है।

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गौरां और नंदी की सेवा करता है सारा परिवार

बुढ़ापे में भी दंपती हर रोज सुबह गाय और बैल की सेवा में जुट जाता है। गाय का नाम गौरां और बैल का नंदी रखा है। दंपती दोनों बेजुबानों को परिवार के ही सदस्य मानते हैं। पूरा परिवार उनके इस नेक काम में हाथ बंटाता है। विचित्र सिंह के परिवार में 68 वर्षीय पत्नी चंपा देवी सहित बेटा, बहू और दो पोते हैं। ये सभी लोग गौरां और नंदी की सेवा करते हैं।

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रोजाना खरीदते हैं दो किलो दूध

विचित्र सिंह ने रेड सिधी नस्ल की गाय रखी है लेकिन वह कई साल से न तो दूध देती है और न ही गर्भधारण कर पाई है। पिछले सात साल से विचित्र सिंह परिवार के लिए रोजाना दो किलो दूध खरीद रहे हैं। गाय को कहीं छोड़ने का विचार दंपती के मन में नहीं आया है।

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रेड सिधी नस्ल की गाय दरअसल सिध प्रांत (पाकिस्तान) की है। हो सकता है यहां की जलवायु गाय के अनुरूप नहीं हो और इस वजह से ही ऐसे गायों में यह विकृति आमतौर पर देखी जाती है। अन्य गाय के मुकाबले यह नस्ल कम दूध देती है। बच्चेदानी में खराबी या अंडकोष में कमी, इसका कारण हो सकता है।

-डॉ. अभिषेक ठाकुर, पशु चिकित्सक भवारना


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