बज गई मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव की रणभेरी
नगर निगम के महापौर व उपमहापौर के चेहरों को बदलने के लिए जो समय तय था, उसकी घड़ी अब नजदीक है। सोमवार आठ अक्टूबर को यह तस्वीर भी साफ होगी कि कपूर के हुकमरान या सुधीर के बजीर इन दोनों ही पदों पर कहां तक काबिज हो पाते हैं।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : नगर निगम धर्मशाला को आठ अक्टूबर को नए महापौर व उपमहापौर मिलेंगे। चुनाव के संबंध में वीरवार को शहरी विकास विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। शहरी विकास विभाग के निदेशक हंसराज शर्मा की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार नगर निगम के वर्तमान महापौर व उपमहापौर का ढाई साल का कार्यकाल आठ अक्टूबर को पूरा होगा और इसी दिन दोनों पदों के लिए चुनाव होगा। निदेशक ने नगर निगम आयुक्त को निर्देश जारी किए हैं कि वह छह अक्टूबर सुबह 11 बजे से पूर्व सभी पार्षदों को इसकी जानकारी आधिकारिक रूप से दे दें। नगर निगम धर्मशाला के सदन में कुल 17 पार्षद हैं और इनमें से 14 कांग्रेस समर्थित हैं जबकि भाजपा के सिर्फ तीन पार्षद हैं। आंकड़ों के हिसाब से फिर से कांग्रेस समर्थित पार्षद का मेयर बनाना तय है, जबकि डिप्टी मेयर के लिए भाजपा भी कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाने की फिराक में है।
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यह होगी चुनाव प्रक्रिया
छह अक्टूबर को शहरी विकास विभाग के निदेशक सभी पार्षदों से बैठक करेंगे। बैठक में कुल 17 पार्षदों में से एक चौथाई का होना अनिवार्य है। अगर कोरम पूरा नहीं होता है तो चुनाव प्रक्रिया एवं बैठक अगले तीन दिन के लिए स्थगित कर दी जाएगी। तीन दिन के बाद होने वाली बैठक में एक चौथाई सदस्यों की उपस्थिति की शर्त नहीं रहेगी।
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ऐसे चुने जाएंगे महापौर व उपमहापौर
दोनों पदों के लिए एक ही उम्मीदवार होने पर निदेशक निर्विरोध महापौर व उपमहापौर घोषित कर देंगे। इसके अलावा एक से अधिक उम्मीदवार होने की स्थिति में पार्षदों से मतदान करवाया जाएगा। इसके तहत ¨हदी भाषा में दिए जाने वाले बेलेट पेपर में निदेशक हर पार्षद के बेलेट पेपर के पीछे हस्ताक्षर करेंगे।
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बदले समीकरण..दिखेगा आईना
आठ को सजेगी शह-मात की बिसात
-27 मार्च, 2017 को हुआ था नगर निगम का चुनाव
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : नगर निगम के महापौर व उपमहापौर के चेहरे बदलने के लिए जो समय तय था, उसकी घड़ी अब नजदीक है। आठ अक्टूबर को यह तस्वीर भी साफ होगी कि मंत्री किशन कपूर के हुक्मरान या पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा के बजीर इन दोनों ही पदों पर कहां तक काबिज हो पाते हैं। दोनों पदों के हथियाने के लिए एक बार फिर से राजनीतिक बिसात बिछेगी तो यह भी तय होगा कि शह और मात के इस खेल में कपूर या सुधीर समर्थकों में से कौन कब्जा जमाता है। महापौर-उपमहापौर का कार्यकाल ढाई साल तय किया गया था। इसके बाद इन दोनों ही पदों के लिए चुनाव प्रस्तावित था।
पांच अक्टूबर, 2015 को कांग्रेस कार्यकाल में धर्मशाला को नगर निगम बनाने की अधिसूचना जारी हुई थी। इसके बाद नगर परिषद से नगर निगम बनी धर्मशाला में 11 वार्डो में छह और वार्ड जोड़कर इसे नगर निगम का दर्जा दिया गया। 27 मार्च, 2017 को नगर निगम के कुल 17 वार्ड के लिए चुनाव हुआ। उस समय कांग्रेस शासन के दौरान नगर निगम के 17 वार्डो में 14 पर कांग्रेस समर्थित तो तीन पर भाजपा के उम्मीदवार जीते। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की जीत का जश्न मनाया था। पार्षदों को शपथ तपोवन स्थित विधानसभा भवन के प्रांगण में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा ने दिलाई थी। इस दौरान अढ़ाई वर्ष का कार्यकाल दोनों पदों के लिए तय किया था। उस समय महापौर पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित था, जबकि उपमहापौर का पद अनारिक्षत था। कांग्रेस के शासनकाल में कुल 17 वार्ड के चुनाव में 14 पार्षद कांग्रेस के जीते और तीन भाजपा के व नगर निगम पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। अब प्रदेश में सत्ता का परिवर्तन हुआ है तो समीकरणों के बदलने की भी उम्मीद है। धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम भी बड़ी प्रतिनिधित्व इकाई है और इसका कहीं न कहीं असर चुनाव में भी रहता है। अब फिर इस विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव से पूर्व नगर निगम के महापौर व उपमहापौर पदों के लिए चुनाव प्रक्रिया होगी तो कांग्रेस दोबारा से इन पदों पर अपने चेहरे तो भाजपा भी जोड़ तोड़ के साथ इन महत्वपूर्ण पदों को हासिल करने की कोशिश करेगी। जिला परिषद के चुनाव में उपाध्यक्ष पद पर भाजपा को मिली हार के बाद अब नगर निगम के ये दोनों पद हथियाना प्रतिष्ठा का सवाल भी है। इन दोनों पदों को पाने के बाद बदले समीकरणों में दोनों ही दलों को अब अपने हालातों का आईना भी दिखेगा।
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यह है स्थिति
महापौर- रजनी व्यास
उपमहापौर- देवेंद्र जग्गी
कुल पार्षद- 17
कांग्रेस- 14
भाजपा-3
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'शहरी विकास विभाग ने 2016 में तय किया था कि महापौर पद पहले ढाई साल के लिए अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित होगा, जबकि अगले ढाई वर्ष अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होगी। सीट आरक्षित करने के लिए एसटी जनसंख्या की प्रतिशतता 15 फीसद अनिवार्य है, लेकिन एमसी धर्मशाला में एसटी वर्ग की जनसंख्या साढ़े 12 फीसद है, इसलिए इस बार महापौर पद विभाग को अनारिक्षत करना पड़ा है।'
-हंसराज शर्मा, निदेशक शहरी विकास विभाग।