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धर्मशाला: नगर नि‍गम की महापौर का फूटा गुस्सा, अध‍िकार‍ियों की ली क्‍लास

कर्मचार‍ियों व अध‍िकार‍ियों की लेटलतीफी व शहर में सफाई न होने पर आज नगर न‍िगम धर्मशाला की महापौर रजनी भड़क उठी, उन्‍होंने बैठक कर सभी अध‍िकार‍ियों व कर्मचार‍ियों की जमकर क्‍लास ली

By Munish DixitEdited By: Published: Wed, 15 Feb 2017 03:49 PM (IST)Updated: Wed, 15 Feb 2017 04:03 PM (IST)
धर्मशाला: नगर नि‍गम की महापौर का फूटा गुस्सा, अध‍िकार‍ियों की ली क्‍लास
धर्मशाला: नगर नि‍गम की महापौर का फूटा गुस्सा, अध‍िकार‍ियों की ली क्‍लास

धर्मशाला [राजेंद्र डोगरा]: अंतत: धर्मशाला नगर निगम की महापौर रजनी का गुस्सा फूट पड़ा। स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित होने के बाद सफाई की व्यवस्था के लिए हुए ठेके के बावजूद भी कूड़ा-कचरा आम बिखरा होने पर महापौर भड़क उठी और उन्होंने नगर निगम अधिकारियों की बैठक लेकर खूब क्लास लगाई। वहीं साफ स्पष्ट भी किया कि निगम के कई कर्मचारी ड्यूटी का तय समय भी नहीं दे रहे हैं और वह सुबह 11 बजे पहुंचने के बाद शाम साढ़े तीन बजे ही अपना सामान पैक कर घर की ओर अपने कदमों को बढ़ा देते हैं।

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उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि नगर परिषद के समय के तैनात कर्मचारी भी अपनी सेवाएं ईमानदारी से दें तो आधे से ज्यादा व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। यही नहीं उन्होंने बैठक के दौरान अधिकारियों को साफ हिदायत दी है कि अब किसी भी कीमत पर लेट लतीफी सहन नहीं की जाएगी और जनप्रतिनिधियों के चाहे कोई भी नागरिक किसी भी दल से क्यों तालुक न रखता हो, उसका काम हर हालत में निगम अधिकारियों को करना होगा और इसीलिए जनता ने उन्हें चयनित भी किया है।

इसलिए यह न समझा जाए कि यह व्यक्ति अपना है और यह पराया है। नगर निगम के दायरे में आने वाले हर व्यक्ति की समस्या का समाधान करना अधिकारियों का कर्तव्य है।

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उन्होंने बड़ा सवाल यह भी उठाया कि जब मैक्लोडगंज में दो मंजिला भवन निर्माण का प्रावधान है, तो वहां पर छह मंजिला भवन कैसे बन गए और इस पर निगम अधिकारियों ने कार्रवाई क्यों नहीं की?
उन्होंने साफ स्पष्ट किया कि दिल्ली की जिस फर्म को सफाई का ठेका दिया गया है, उसे तुरंत समझौता रद्द कर अन्य ठेकेदार को दिया जाए, क्योंकि उपरोक्त कंपनी अपने कार्य को बेहतर ढंग से अमलीजामा नहीं पहना पाई है। कंपनी से जब 140 सफाई कर्मचारियों की बात की गई थी, लेकिन अभी तक 40 सफाई कर्मी भी फील्ड में नहीं है और जो हैं उन्हें भी समय पर पैसे नहीं मिल रहे हैं, जो कई सवाल खड़े कर रहा है।

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