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निहित स्वार्थो के कारण नहीं बना जेनेरिक दवाई लिखने का नियम : शांता

हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री और कांगडा-चंबा से वर्तमान लोकसभा सदस्य शांता कुमार ने कहा है कि हिमाचल सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के उन 400 डाक्टरों के विरूद्ध कार्यवाही करने का निर्णय किया है, जिन्होने आदेश का उलंघन करते हुए रोगी की पर्ची पर सस्ती जैनरिक दवाई की बजाए महंगी ब्रांडेड दवाई लिखी हैं। उन्होंने इस कार्यवाही के लिए हिमाचल सरकार और विशेष रूप से

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 07:24 PM (IST)
निहित स्वार्थो के कारण नहीं बना जेनेरिक दवाई लिखने का नियम : शांता
निहित स्वार्थो के कारण नहीं बना जेनेरिक दवाई लिखने का नियम : शांता

जागरण संवाददाता, पालमपुर : सांसद शांता कुमार ने अपनी ही केंद्र सरकार पर जेनेरिक दवाइयों के लिए अब तक नियम न बनाए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से जेनेरिक दवाइयां लिखने के आदेश और अब तक दवाइयां न लिखने वाले चार सौ डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्णय पर प्रसन्नता जाहिर की है तथा स्वास्थ्य मंत्री विपिन ¨सह परमार को बधाई दी है।

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उन्होंने जारी बयान में कहा कि संसद की वाणिज्य स्थाई समिति के अध्यक्ष के रूप में सरकार को इस विषय पर रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में कहा था कि यदि सरकार जेनेरिक दवाई लिखने की बाध्यता का नियम बना दे तो करोड़ों लोगों को फायदा होगा। पिछली कांग्रेस सरकार ने उनका सुझाव नहीं माना। नई सरकार आने पर उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर यह मांग रखी। प्रधानमंत्री ने सूरत में यह घोषणा कर दी कि सरकार डॉक्टरों की ओर से रोगी पर्ची पर केवल जेनेरिक दवाई लिखने की बाध्यता का नियम बनाएगी। परंतु कुछ निहित स्वार्थो के कारण अभी तक यह नियम नहीं बन पाया है। शांता ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आश्वासन दिया है कि बहुत जल्दी सरकार यह नियम बनाएगी।

शांता कुमार ने कहा कि उन्होंने कमेटी की रिपोर्ट में प्रमाण सहित यह कहा था कि भारत का दवाई उद्योग विश्व में सस्ती जेनेरिक दवाई बनाने के लिए प्रसिद्ध है। भारत की बनी सस्ती जेनेरिक दवाई अमेरिका, यूरोप और यूनीसेफ भी खरीदता है। लगभग एक लाख करोड़ रुपये की दवाई निर्यात होती है, परंतु भारत के गरीब लोगों को यह दवाई इसलिए नहीं मिलती क्योंकि अधिकतर डॉक्टर बहुराष्ट्रीय बड़ी दवाई कंपनियों के दबाव में कमिशन के लालच में रोगी की पर्ची पर महंगी ब्रांडेड दवाई लिखते हैं।

उन्होंने हिमाचल के डॉक्टरों से अपील की कि इन चार सौ डॉक्टरों के कारण प्रदेश के सभी डॉक्टरों की बदनामी हो रही है। अपने पूरे वर्ग के सम्मान की रक्षा के लिए वे भविष्य में ऐसी स्थिति न लाएं। शांता कुमार ने सरकार से आग्रह किया है कि इस निर्णय को सख्ती से लागू करवाने में कोई कसर न रखी जाए।


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