इराक में मारे गए हिमाचली युवकों के अवशेष उनके घर पहुंचे
चार साल पहले इराक के मोसुल में हिमाचल के चारों युवा भी काम के लिए गए थे, लेकिन वहां 39 भारतीयों हत्या कर दी गई थी, जिनमें चार हिमाचली भी शामिल थे।
धर्मशाला, जेएनएन। इराक के मोसुल में मारे गए हिमाचली युवकों के अवशेष उनके घरों में पहुंच चुके हैं।गौरतलब है कि चार साल पहले इराक के मोसुल में हिमाचल के चारों युवा भी काम के लिए गए थे, लेकिन वहां 39 भारतीयों हत्या कर दी गई थी, जिनमें चार हिमाचली भी शामिल थे। सोमवार को मोसुल से 39 भारतीयों समेत चार हिमाचली युवाओं के अवशेष अमृतसर पहुंचाए गए। इसके बाद खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर व जिलाधीश कांगड़ा संदीप कुमार की निगरानी में चारों के अवशेषों को हिमाचल लाया गया। इनमें फतेहपुर के धमेटा के समकड़ निवासी संदीप सिंह राणा के अवशेष को नूरपुर के उपमंडलीय चिकित्सालय में रखे गये थे, जबकि धर्मशाला के पासू के अमन, देहरा उपमंडल की पंचायत भटेहड गांव के कदरेटी निवासी इंद्रजीत व जिला मंडी के सुंदरनगर के हेमराज अवशेषों को टांडा मेडिकल कॉलेज के शवगृह में रखा गया था। उपायुक्त संदीप कुमार ने परिजनों से अपील की है कि इन ताबूतों को खोलें न।
यह था मामला
रोजगार की तलाश इराक गए हिमाचल के चार युवकों की आइएसआइएस आतंकियों ने 2014 में बंदी बना लिया था। अपहरण के बाद युवकों के परिजनों ने उनके सकुशल वापसी के लिए केंद्र सरकार के समक्ष मामले को प्रमुखता से उठाया। जिस पर विदेश मंत्रालय भी उनके वापसी के आश्वासन दे रहा था, लेकिन 20 मार्च को संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीयों की मौत की पुष्टि की थी।
कोई कसर नहीं छोड़ी
अमृतसर एयरपोर्ट में सोमवार को मंत्री वीके सिंह ने कहा युवकों के अवशेषों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अवशेष परिजनों तक लाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। यहां तक कि उन्हें इराक की सड़कों पर भी रात बितानी पड़ी। विदेश मंत्रालय ने इराक की फौज के साथ लगातार संपर्क कर इन युवाओं का पता लगाया। फिर शवों की तलाश कर डीएनए की रिपोर्ट के आधार पर इनके परिवारों की पहचान की गई। इनकी पहचान की पुष्टि पर शक करना गलत है।
सरकार आज घर पहुंचाएगी अवशेष
इराक के मोसुल में आइएस आतंकियों की बर्बरता का शिकार हुए चारों युवकों के अवशेष मंगलवार को सुबह साढ़े सात बजे तक उनके घर पहुंचा दिए जाएंगे। जिलाधीश कांगड़ा संदीप कुमार ने परिजनों से अपील की है कि वे ताबूत खोले नहीं। इनके साथ ही अवशेषों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करें तो बेहतर रहेगा। यह बॉडी नहीं अवशेष हैं, काफी टाइम से कैमिकल ट्रीटमेंट हो रही है। बगदाद से एक्सपोर्ट किए गए हैं तो इन पर कैमिकल लैप किया गया है। इसे खोला जाएगा तो दृश्य परिवार के लिए असहनीय होगा। सरकार खुद इन अवशेषों को घरों तक पहुंचाएगी, परिजन टांडा मेडिकल कॉलेज या उपमंडलीय अस्पताल नूरपुर आने की जरूरत नहीं है। जिलाधीश कांगड़ा ने बताया कि अमृतसर में दो बजे के करीब इंडियन एयरफोर्स का जहाज लैंड किया, इसमें पंजाब, बिहार, बांग्लादेश के युवकों के अवशेष भी थे। टांडा मेडिकल कॉलेज में जिलाधीश कांगड़ा संदीप कुमार, टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गुरदर्शन गुप्ता, एसडीएम धर्मशाला धर्मेश रामोत्रा, जिला रेडक्रास सोसायटी के सचिव ओपी शर्मा, मंडी के तहसीलदार नरेंद्र पाल व मंडी के रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव ओपी भाटिया की मौजूदगी में अवशेषों को शवगृह में रखा गया।
दिनभर बेटे के अवशेष आने की खबर देख आंसू बहाते रहे पिता
इंद्रजीत के पिता परदेशी राम दिनभर टीवी पर बेटे की खबर देखते रहे। बेटे के अवशेष भारत लाए जाने से लेकर कांगड़ा पहुंचने तक का लाइव उन्होंने टीवी पर देखा। इस दौरान वह काफी भावुक हुए व रोते रहे। प्रशासन की तरफ से एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर ने इंद्रजीत के पिता परदेसी राम से फोन पर बात की और बताया कि मंगलवार को बेटे के अवशेष पहुंच जाएंगे। परदेशी राम ने बताया कि उन्हें प्रदेश सरकार से उम्मीद है कि जिस तरह से पंजाब सरकार मदद कर रही है उस तरह उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देंगे। धर्मशाला के पासू गांव के अमन के घरवाले व फतेहपुर संदीप राणा के परिजनों का भी यही हाल था। संदीप के जीजा बलवंत सिंह का कहना कि खोने व पाने के लिए अब कुछ नहीं बचा है। बस अब संदीप के अवशेषों का इंतजार बाकी है। मोसूल में मारे गए हिमाचलियों के अवशेष लाने के लिए सरकार ने खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर और डीसी कांगड़ा संदीप कुमार व एसडीएम फतेहपुर बलवान चंद को अमृतसर भेजा था।
रो-रोकर पथरा गई हेमराज के परिजनों की आंख
इराक में मारे गए सुंदरनगर के बायला गांव के हेमराज की चार साल की बेटी अनन्या पैदा होने के बाद एक बार भी अपने पिता का चेहरा नहीं देख पाई, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। अब बेटी अनन्या पिता के शरीर के अवशेष भी आखिरी बार मंगलवार को देखेगी। हेमराज के घर में पत्नी निर्मल देवी, आठ साल का बेटा ध्रुव सहित पिता बेली राम व माता रोशनी अपने लाडले की इराक में मौत की सूचना मिलने के बाद सदमे से उभर नहीं पा रहे हैं। 20 मार्च के बाद घर में न तो ठीक तरह से खाना बन पा रहा है और न ही परिजन रोजमर्रा के काम सही तरीके से कर पा रहे हैं। पूरा परिवार दुख की इस घड़ी में सोमवार का दिन घर के आंगन में बीता। पूरे परिवार को रो-रो कर बुरा हाल है। पत्नी निर्मला और बूढ़े माता-पिता की आंखें भी पथरा सी गई हैं, जबकि बेटा धु्रव और बेटी अनन्या की आंखों से भी आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे।
हेमराज अपने परिवार को गरीबी से उबारने के लिए विदेश गया था। जब वह विदेश गया तो परिवार आइआरडीपी में था। कुछ माह तक जब विदेश से हेमराज पैसा भेजता रहा, तो परिवार का आइआरडीपी से नाम काट दिया गया। जून 2014 में हेमराज के लापता होने की सूचना मिली तो परिवार की हालत बदतर होने लगी। आज न तो परिवार आइआरडीपी में हैं और न ही आय का मजबूत साधन है।
आज बायला पहुंचेंगे हेमराज के अवशेष
हेमराज के अवशेष मंगलवार सुबह उसके पैतृक गांव में पहुंचेंगे। जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार सदर मंडी और जिला रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव ओपी भाटिया हेमराज के अवशेष लेने के लिए कांगड़ा गए हुए हैं। मंडी में एसडीएम सुंदरनगर राहुल चौहान रिसीव कर मंगलवार सुबह परिजनों को सौंपेंगे। उधर, एडीसी मंडी राघव शर्मा का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार सदर मंडी और जिला रेडक्रॉस सोसायटी सचिव धर्मशाला से हेमराज के अवशेष लाने के लिए गए हैं।