आखिर क्यों मिग-21 इतने ज्यादा क्रैश होते हैं? जवाब पूर्व वायुसेना अधिकारी से सुनें
एयरफोर्स से वारंट अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त सुरेश राज शर्मा के अनुसार, ये विमान काफी क्रैश हुए हैं और 200 से अधिक जवान हादसों में जान गंवा चुके हैं।
मुनीष दीक्षित, धर्मशाला। वायुसेना की रीढ़ कहे जाने वाले लड़ाकू विमान मिग-21 के फतेहपुर में क्रैश होने की घटना ने एक बार फिर विमान की सुरक्षा के संबंध में उठने वाले सवालों को हवा दे दी है। कई खामियों के बावजूद अब भी मिग-21 उड़ान भर रहा है और एयरफोर्स के जवान जान गंवा रहे हैं। हालांकि कुछ साल पहले मिग-21 को एयरफोर्स से बाहर करने की खबरें आई थी, लेकिन क्रैश होने की घटना ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एयरफोर्स से वारंट अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त सुरेश राज शर्मा के अनुसार, ये विमान काफी क्रैश हुए हैं और 200 से अधिक जवान हादसों में जान गंवा चुके हैं। वायुसेना विमानों को धीरे-धीरे हटाने की कवायद शुरू कर चुकी है, लेकिन अभी तक इन्हें पूरी तरह से हटाया नहीं गया है।
बकौल सुरेश राज शर्मा, आज से 19 साल पहले पायलटों की शिकायत रही थी कि मिग विमानों के कुछ मॉडल बहुत तेजी से लैंड करते हैं और कॉकपिट की खिड़कियों की डिजाइन ऐसी है कि उनसे रनवे को ठीक से नहीं देख पाते हैं। इसके अलावा इंजन में फ्लेम आउट यानी अचानक आग पकड़ना भी आम है और इस कारण ही हादसे होते हैं। खामियों के कारण मिग-21 को उड़ता हुआ ताबूत भी कहते हैं। सुरेश राज शर्मा बताते हैं कि रूस से खरीदे गए आठ सौ के करीब मिग-21 में आधे हादसों का ही शिकार हो चुके हैं।
पीड़ादायक होता है पायलट का जाना
सुरेश राज शर्मा बताते हैं कि पायलट का ऐसे हादसों में जाना पीड़ादायक होता है। यह न केवल परिवार के लिए बल्कि वायुसेना के लिए भी बड़ा झटका होता है। वर्ष 2012 में गुजरात के जामनगर के समीप सरमत फायरिंग रेंज के ऊपर दो एमआइ-17 हेलीकॉप्टरों की टक्कर में बेटे विंग कमांडर आशीष शर्मा को खो चुके सुरेश राज शर्मा बताते हैं कि एक पायलट को तैयार करने में काफी समय लगता है, लेकिन तकनीक की गलती इस मेहनत पर भारी पड़ जाती है। ऐसे में अब वायुसेना को इन विमानों को हटा देना चाहिए।