देरी से पहुंचे चेयरमैन, प्रतिनिधि बैठक छोड़कर चले गए
कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित (केसीसीबी) के 74वें साधारण वार्षिक अधिवेशन तय समय से आधा घंटा देरी से शुरू हुआ क्योंकि बैंक चेयरमैन देरी से पहुंचे। जैसे ही चैयरमेन पहुंते तो प्रतिनिधि सभागार छोड़कर और नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए एवं बैठक का बहिष्कार कर दिया। बाद चेयरमैन में उन्हें मनाकर वापस लिया। अधिवेशन में भी एनपीए समेत गलत ऋण आवंटन मामलों पर भी डेलीगेटों ने हंगामा किया। यहां तक कि डेलीगेटों ये भी स्पष्टीकरण मांगा कि एनपीए बढ़ानी शाखाओं के स्टाफ के क्या कार्रवाई की जा रही है। यही नहीं प्रतिनिधियों ने ऐसे स्टाफ को स्थानांतरित करने को भी कहा। इसको लेकर प्रतिनिधियों व प्रबंधन के बीच गहमागहमी हो गई।
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित (केसीसीबी) का 74वां साधारण वार्षिक अधिवेशन वीरवार को तय समय से आधा घंटा देरी से शुरू हुआ। इस दौरान जैसे ही चेयरमैन पहुंचे तो विभिन्न सहकारी सभाओं के प्रतिनिधि सभागार छोड़कर और नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गए। हालांकि बाद में चेयरमैन में उन्हें मना लिया।
इस दौरान एनपीए समेत गलत ऋण आवंटन के मामलों में भी प्रतिनिधियों ने हंगामा किया। उन्होंने कहा कि एनपीए बढ़ाने के लिए स्टाफ पर क्या कार्रवाई की जा रही है। प्रतिनिधियों ने ऐसे स्टाफ को स्थानांतरित करने की पैरवी की। इस पर प्रतिनिधियों व बैंक प्रबंधन के बीच गहमागहमी हो गई। प्रतिनिधियों का कहना था कि अगर प्रबंधन आंकड़ों से सतुंष्ट है तो कैसे 45 करोड़ का नुकसान हो गया। प्रबंधन क्यों आंखें मूंद कर ऋण आवंटित करता रहा। इस पर अध्यक्ष ने जवाब दिया कि ओवर ड्यू व एनपीए बढ़ना चिता का विषय है और यह केवल केसीसीबी की ही नहीं बल्कि वैश्विक समस्या है। अध्यक्ष ने माना कि कुछ ही समय उन्हें कार्यभार संभाले हुए हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो मामले विजिलेंस को सौंपे जाएंगे। गलत तरीके से लोन देने के मामलों में पांच प्रबंधक टर्मिनेट, एक डिसमिस व एक उच्चाधिकारी को चार्जशीट किया है। गलत ऋण आवंटन मामले में पूर्व की लोन कमेटी के खिलाफ भी विजिलेंस को एफआइआर दर्ज करने के लिए बीओडी ने मंजूरी दी है। बैठक में प्रतिनिधियों ने प्रबंधन के समक्ष मांग उठाई कि ऋण आवंटन के लिए लिमिट बढ़ाई जाए। तर्क था कि उनके पास ऐसे कई ऋणधारक हैं, जो काफी अधिक लोन ले सकते हैं, लेकिन लिमिट कम होने से ऐसा नहीं हो पा रहा है। अध्यक्ष ने उन्हें आश्वास्त किया कि इस संबंध में नाबार्ड से मामला उठाया जाएगा। बैठक में 10 एजेंडे रखे गए थे। इस दौरान बकाया राशि को बट्टा खाता में डालने बाबत सहमति नहीं बन गई। हालांकि नौ अन्य एजेंडों पर प्रतिनिधियों में सहमति बनी है।