कीचड़ के ढेर पर मर्ज का इलाज
हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों को रोजाना तकनीकी रूप से तैयार करने में जुटे कर्मचारियों को रोज मुसिबत का सामना करना पड़ रहा है।
धर्मशाला, जेएनएन। रात-दिन हिमाचल पथ परिवहन निगम की जो बसें आपको एक स्थान से दूसरी जगह ले जाने में मदद कर रही हैं उन्हें रोजाना तकनीकी रूप से तैयार करने में जुटे कर्मचारी मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। लेकिन इनकी दिक्कत को न एचआरटीसी प्रबंधन देख पा रहा है और न ही कर्मियों की समस्या का समाधान करवाने वाले संगठनों के पदाधिकारी।
धर्मशाला सहित पालमपुर व बैजनाथ में स्थित एचआरटीसी की कर्मशालाओं की हालत बेहद खराब बनी हुई है। यहां प्रवेश द्वार जहां टूटे हुए हैं वहीं, चार दशक पुरानी इन कर्मशालाओं में बरसात में जमा कीचड़ से कर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। धर्मशाला कर्मशाला में रोजाना 75 के करीब कर्मचारी कार्य करते हैं। यहां 140 बसें धर्मशाला डिपो की हैं, इसके अलावा अन्य डिपो की गाड़ियों की भी मरम्मत होती है। यहां सारा फ्लोर टूट चुका है। ऐसे में यहां आजकल हर जगह बरसात का पानी व कीचड़ जमा है। टायर सेक्शन की हालत बेहद खराब बनी हुई है। वेल्डिंग का काम भी कीचड़ के बीच हो रहा है।
ऐसे में यहां कभी भी करंट लगने से बड़ा हादसा हो सकता है। कर्मशाला में इसके अलावा श्रम कानूनों का भी उल्लंघन हो रहा है। कर्मचारियों के लिए प्राथमिक चिकित्सा तक का कोई प्रबंध नहीं है। यहां के शौचालयों की टूटी हालत व बाहर फैली गंदगी से हर समय कर्मचारी बीमार होते हैं लेकिन इस ओर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। निगम की बैजनाथ व पालमपुर स्थित कर्मशालाओं की भी यही हालत है। धर्मशाला में डेढ़ साल से मैनेजर का पद खाली है। दिसंबर 2017 से टेक्नीकल मैनेजर भी नहीं है। कर्मशाला को दो जूनियर टेक्नीकल अधिकारी चला रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस कर्मशाला के साथ ही डीएम व आरएम का भी कार्यालय है।
'इस बारे में कभी कर्मचारियों ने शिकायत नहीं की है। अगर शिकायत आती है तो समस्या का समाधान किया जाएगा। सुविधाओं को लेकर कार्यालय में प्वाइंट टू प्वाइंट ही बताया जा सकता है।'
-पंकज चड्ढा, आरएम एचआरटीसी, धर्मशाला