कांगड़ा चाय को बाजार का इंतजार
कांगड़ा चाय तैयार है। अप्रैल तोड़ बंपर हुआ है। मगर चाय बागवानों के चेहरों पर खुशी नहीं है।
शारदा आनंद गौतम, पालमपुर
कांगड़ा चाय तैयार है। अप्रैल तोड़ बंपर हुआ है। मगर चाय बागवानों के चेहरों पर खुशी नहीं है। कोरोना के कारण सारी व्यापारिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। पश्चिम बंगाल में चाय की नीलामी नहीं हो पाई है तो अमृतसर से भी किसी प्रकार की राहत नहीं दिख रही है। अब मई में भी चाय के तुड़ान को तैयार कर दिया गया है। लगातार मौसम के सकारात्मक रहने के कारण चाय का उत्पादन इस बार पिछला रिकार्ड तोड़ रहा है। छोटे बागवानों ने इस दौरान 10,650 किलोग्राम चाय का उत्पादन किया है। बड़े चाय उत्पादकों का इस माह उत्पादन 1,83,353 किलोग्राम है। कांगड़ा चाय को इस मर्तबा नेपाल की चाय से प्रतिस्पर्धा नहीं मिल रही है। अब कांगड़ा चाय को व्यापक बाजार मिले तो बागवानों को उनकी मेहनत का फल मिल सकता है। कोरोना के कहर को लेकर जिस प्रकार चाय की उपयोगिता सामने आई है। कांगड़ा चाय की व्यापक मांग बाजार में हो सकती है।
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पीडीएस सिस्टम हो लागू
कांगड़ा चाय को पीडीएस यानी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम के तहत लोगों को उपलब्ध करवाया जाए तो उसका लाभ जनता के साथ चाय उत्पादकों को भी मिल सकता है। इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास होने चाहिए। कांगड़ा चाय से जुड़े बागवान भी मानते हैं कि वर्तमान समय में पीडीएस सिस्टम से चाय को उपभोक्ता तक पहुंचाया जाए तो इसकी खपत भी बढ़ेगी और लोगों को इसके गुणों के बारे में भी पता चलेगा।
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कांगड़ा चाय की नीलामी के लिए 15 जून तय किया गया है और पश्चिम बंगाल में नीलामी होगी । सरकार अपने स्तर पर इसे पीडीएस से भी लोगों तक पहुंचा सकती है। हम इसके औषधीय गुणों के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचा रहे हैं।
-अनुपम दास, क्षेत्रीय उपनिदेशक, टीबोर्ड ऑफ इंडिया, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश।