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पानी सहेजना सिखा रहा समेला

गर्मियों में अक्सर विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल संकट हो जाता है। ऐसे वक्त में पशुओं को पानी पिलाना व लोगों को कपड़े आदि धोने के लिए पानी जुटा पाना भी दूर की बात हो जाती है। कुछ बावड़ियों को सहेज कर उनका पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाता है तो कपड़े धोने व पशुओं को पानी पिलाने के लिए चंगर का समेला क्षेत्र जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहा है। समेला पंचायत के विभिन्न नालों को चैनलाइज किया गया है और इन नालों में तालाब के रूब में इकट्ठा होने वाली पानी का प्रयोग या तो कपड़े धोने के लिए किया जाता या

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 07:30 PM (IST)
पानी सहेजना सिखा रहा समेला
पानी सहेजना सिखा रहा समेला

नीरज व्यास, कांगड़ा

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गर्मियों में अकसर विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल संकट हो जाता है। ऐसे वक्त में पशुओं को पानी पिलाना व रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए पानी जुटा पाना भी दूर की बात हो जाती है।

लेकिन कांगड़ा की नजदीकी पंचायत में बावड़ियों को सहेज कर उनका पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाता है। साथ ही लोग इससे रोजमर्रा की अन्य जरूरतें भी पूरी करते हैं। जिला का चंगर क्षेत्र समेला जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहा है। पंचायत के विभिन्न नालों को चैनेलाइज किया गया है। चेकडैम के माध्यम से इसे इकट्ठा करके जरूरतें पूरी की जाती हैं।

समेला पंचायत के लधई नाला, तोपखाला नाला में चेकडैम बनाया गया है। इसके अलावा प्राकृतिक स्रोतों को भी सहेजा गया है। पंचायत में सात से दस बावड़ियां हैं, जिनका समय समय पर रखरखाव किया जाता है। कुछ बावड़ियों का पानी पीने के लिए हैं, जबकि कुछ का नहाने, कपड़े धोने व पशुओं को पिलाने के लिए किया जाता है। लोग बावडि़यों को खुद सहेजते हैं। जो भी इनके आसपास गंदगी फैलाता है उसके खिलाफ जुर्माने का भी प्रावधान रखा है।

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पंचायत में लोगों को पेयजल किल्लत का सामना न करे, इसके लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग पेयजल सहित, अन्य जरूरी कार्यों के लिए किया जाता है। पंचायत में कुछ नालों को चैनेलाइज किया गया है। चेकडैम के माध्यम से पानी को एकत्रित किया जाता है ताकि गर्मियों में पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े।

-रेणु चौधरी, पंचायत प्रधान समेला।

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समेला में अकसर पेयजल किल्लत हो जाती थी। गर्मियों में ¨सचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पाती है। ऐसे में प्राकृतिक स्रोत व बावड़ियां ही सहारा है, जिन्हें सहेज रहे हैं।

-मेहर ¨सह, समेला।

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चेकडैम के माध्यम से नालों में पानी इकट्ठा किया जाता है, जिसका प्रयोग पशुओं का पिलाने व कपड़े धोने के लिए किया जाता है।

-दिनेश कुमार, समेला।

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गांव में बावड़ियों के लिए नियम बनाया है। जिस बावड़ी का पानी पीने के लिए होता है वहां पर नहाना, कपड़े धोना वर्जित है, जबकि कुछ बावड़ियों का प्रयोग कपड़े धोने व नहाने के लिए किया जाता।

-राकेश कुमार, समेला

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समेला पंचायत में चेकडैम बनाकर पानी को सहेजा जा रहा है, जबकि पलवाणा में एक नाले में चेकडैम बनाने का काम चल रहा है। इससे पलवाणा गांव में भी अन्य कार्यों के लिए गर्मियों में पानी उपलब्ध होगा।

-ओंकार ¨सह, समेला।


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