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कालेश्वर महादेव बना मिनी हरिद्वार

स्थि विर्सजन को लेकर पहुंचे रहे लोग संवाद सूत्र ज्वालामुखी भले ही वैश्विक महामारी कोरोना के कारण ना केवल व्यवस्थाएं बिगड़ी हैं बल्कि यहां के रीति रिवाजों पर भी असर पड़ा है। अब चाहे अपने पितृों के अस्थि विसर्जन को जाने के लिए हरिद्वार के द्वार भी खुल गए हैं पर समाज का एक ऐसा वर्ग भी है जो कि सुविधाओं की कमी के कारण अपनों के अस्थि विसर्जन को लेकर वहां पर नहीं जा पा रहा है। पर सुखद यह भी है कि जिला कांगड़ा का कालेश्वर महादेव हरिद्वार के बाद अस्थि विसर्जन का सबसे बड़ा स्थान बना है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि वह लोग जो अब भी अपनों के अस्थि

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 06:15 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:15 PM (IST)
कालेश्वर महादेव बना मिनी हरिद्वार
कालेश्वर महादेव बना मिनी हरिद्वार

संवाद सूत्र, ज्वालामुखी : वैश्विक महामारी  कोरोना के कारण न केवल व्यवस्थाएं बिगड़ी हैं, बल्कि रीति-रिवाज व परंपरा पर भी असर पड़ा है। अब चाहे अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार के द्वार भी खुल गए हैं पर समाज का एक वर्ग ऐसा भी है, जो सुविधाओं के अभाव में हरिद्वार नहीं जा पाता है। सुखद यह भी है कि जिला कांगड़ा का  कालेश्वर महादेव मंदिर आजकल अस्थि विसर्जन के लिए मिनी हरिद्वार बना है।

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क्या है इस जगह की महत्ता

कालेश्वर महादेव मंदिर पांडव काल में निर्मित हुआ है। अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां रुके थे तथा भगवान शिव की अद्भुत पिडी से मंदिर का निर्माण करवाया था। मान्यता है कि जब पांचों पांडव कुंभ मेले के लिए यहां से नहीं निकल पाए तो पांच तीर मारकर उन्होंने पहाड़ से जल धारा निकाली थी। यहां पांच तीर्थों का पानी निकला था और इस कारण ही इसे पंचतीर्थी के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत के कई हिस्सों से लोग यहां के लिए आते हैं।

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प्रदेशभर से पहुंच रहे लोग

 मंदिर के महंत स्वामी विश्वानंद ने बताया कि  कालीनाथ मंदिर की आधी परिक्रमा कर लोग स्वजनों  का अंतिम संस्कार ब्यास किनारे करते हैं। लॉकडाउन के कारण हरिद्वार जाने में असमर्थ लोग यहां अस्थियां बहा रहे हैं। यहां अस्थि विसर्जन के लिए मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, ऊना, कुल्लू व चंबा से लोग पहुंच रहे हैं।

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केस स्टडी एक

ऊना के विनोद कुमार ने बताया कि वह पिता की अस्थियों के विसर्जन के लिए यहां आए हैं। हमीरपुर के अवाह देवी से आए प्रकाश कुमार ने बताया कि वह भी पिता की अस्थियां लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो उनके परिवार के सदस्य इस कार्य के लिए हरिद्वार जाते थे लेकिन लॉकडाउन में यहां ही आए हैं।

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300 लोग कर चुके हैं विसर्जन

अस्थि विसर्जन से पूर्व पूजा करने वाले राजेश शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के बाद आज दिन तक वह करीब 300 लोगों की अस्थियां विधिवत रूप से प्रवाहित करवा चुके हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि परिस्थितियां सुधरेंगी पर ऐसा नहीं हो सका है। राजेश के अनुसार अस्थि विसर्जन के बाद लोग पंचतीर्थी में स्नान कर घरों को लौट रहे हैं।


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