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सायर पर जश्न का मौका नहीं दे पाए चार मंत्री

जिला कांगड़ा में सोमवार को सायर उत्सव धूमधाम से मनाया गया। लेकिन भाजपा के मंत्री और विधायक पार्टी को इस मौके पर जश्न मनाने का अवसर नहीं दे पाए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 07:30 AM (IST)
सायर पर जश्न का मौका नहीं दे पाए चार मंत्री
सायर पर जश्न का मौका नहीं दे पाए चार मंत्री

दिनेश कटोच, धर्मशाला

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जिला कांगड़ा में सोमवार को सायर उत्सव धूमधाम से मनाया गया। लेकिन भाजपा के चार मंत्री और विधायक पार्टी को इस मौके पर जश्न मनाने का अवसर नहीं दे पाए। जिस जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद को हथियाने के लिए मंत्री और विधायक दिनरात एक किए हुए थे उसे कांग्रेस ने छीन लिया। लोकसभा चुनाव से पहले जिला कांगड़ा में भाजपा को यह बड़ा झटका लगा है। इस पद पर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार की ताजपोशी यह संकेत दे रही है कि जिला कांगड़ा में भाजपा की स्थिति पहले की तरह नहीं है।

उपाध्यक्ष पद के लिए अविश्वास प्रस्ताव 13 अगस्त को आया था। इसके बाद से कांग्रेस ने इस पद पर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। वहीं, जिला में भाजपा के मंत्रियों की पूरी फौज के साथ विधायक भी उपाध्यक्ष पद पर अपना परचम लहराने के लिए ताकत लगाए हुए थे। जिला परिषद कांगड़ा के अध्यक्ष पर भाजपा की मधु गुप्ता कांग्रेस कार्यकाल में 2016 में काबिज हुई थीं। उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस ने बाजी मारी थी और गगन सिंह उपाध्यक्ष बने थे। दो वर्ष बाद उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई। लेकिन कांग्रेस ने फिर से भाजपा को मात देकर यह पद अपने नाम किया। 55 सदस्यों वाली जिला परिषद कांगड़ा में उपाध्यक्ष पद पाने के लिए सोमवार को कांग्रेस अपने 27 सदस्यों को एक साथ चुनाव स्थल तक लेकर आई। जब चुनाव परिणाम सामने आया तो उपाध्यक्ष को 35 मत मिले। इससे यह भी साफ जाहिर हो रहा कि कुछ भाजपा समर्थित सदस्यों ने कांग्रेस के हक में मतदान कर किया।

भाजपा द्वारा उपाध्यक्ष पद को गंवाने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी रहा कि उसके कई सदस्य उपाध्यक्ष बनने की चाह पाले हुए थे। लेकिन शेर सिंह के नाम पर मुहर लगने के बाद कुछ क्रॉस वोटिंग कर गए। यह तो चुनावी गणित रहा है, लेकिन इस पद को पाने के लिए जिला के कई मंत्री व विधायक भी पूरी तरह से डटे हुए थे। उनकी यही कोशिश थी कि उपाध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित सदस्य ही काबिज हो। भाजपा की हार से कांग्रेस नेता गदगद हैं। उनका कहना है कि मंत्रियों व विधायकों की फौज भी भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जिला परिषद उपाध्यक्ष की कुर्सी नहीं दिला सकी। आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी।

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इस चुनाव के लिए भाजपा सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी थी। जिला के चारों मंत्री भाजपा समर्थित उम्मीदवार को इस पद पर काबिज करवाने के लिए रात दिन एक किए हुए थे। भाजपा के खिलाफ यह एक शुरुआत हो चुकी है जो लोकसभा चुनाव तक जाएगी। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा।

-सुधीर शर्मा, पूर्व शहरी विकास मंत्री।

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भाजपा से लोगों का मोह भंग हो चुका है। जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस को मिली जीत ने यह दर्शा दिया है। जीत का यह रास्ता अब लोकसभा चुनाव तक जाएगा और कांग्रेस ही जीत दर्ज करेगी।

-अजय वर्मा, सचिव प्रदेश कांग्रेस कमेटी।

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कांग्रेस इससे अगर अपनी शक्ति को आंक रही है, लेकिन यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। भाजपा का जनाधार पहले से और अधिक बढ़ा है। लोकसभा चुनाव में इसके परिणाम भी सामने आएंगे।

-किशन कपूर, खाद्य आपूर्ति मंत्री।


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