ज्वालामुखी अस्पताल खुद बीमार, डॉक्टर लाचार
संवाद सहयोगी, ज्वालामुखी : सिविल अस्पताल ज्वालामुखी खंडहर हो रहे सराय भवन में चलाया जा रहा है। न
संवाद सहयोगी, ज्वालामुखी : सिविल अस्पताल ज्वालामुखी खंडहर हो रहे सराय भवन में चलाया जा रहा है। न तो सरकार को और न ही विभाग को इसकी सुध है। 100 बिस्तर के अस्पताल में अभी मात्र 24 बिस्तर ही हैं। चिकित्सकों के 16 पद हैं, उनमें से आठ ही ओपीडी में बैठ रहे हैं। हर रोज 400 से ज्यादा ओपीडी होती है, लेकिन डॉक्टरों को बैठने तक की जगह नहीं है। एक ओपीडी में चार डॉक्टर बैठ रहे हैं। ओपीडी के बाहर मरीजों के बैठने के लिए जगह नहीं है। उन्हें घटों लाइनों में खड़े होकर बारी का इंतजार करना पड़ता है। कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है और न ही सर्जन है। मरीजों को गंभीरावस्था में टाडा मेडिकल कॉलेज रेफर करना मजबूरी है।
लैब टेक्नीशियन के दो पद खाली हैं। रोजाना 250 के लगभग टेस्ट होते हैं, जिन्हें एक कर्मचारी कैसे काम करेगा। लेबर रूम की हालत खराब है। ऑपरेशन थियेटर न के बराबर हैं। दीवारों व छत से पलस्तर उखड़ कर न जाने किस मरीज पर पड़ जाए। अस्पताल भवन के साथ ही एक भवन निर्माण के लिए 20 फुट तक की खोदाई की गई है। बारिश से यहां जमा हो रहा पानी अस्पताल भवन के लिए खतरा हो सकता है।
शौचालयों की हालत भी खस्ता है। स्ट्रीट लाइट तक की व्यवस्था नहीं। रात को अस्पताल के बाहर अंधेरा छाया रहता है। हाई मास्ट लाइट भी कई दिन से खराब है। हांफी रही स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार व जिलाधीश कागड़ा संदीप कुमार को भी है पर कोई इन्हें सुधारने की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। स्थानीय विधायक रमेश धवाला अस्पताल को स्थानांतरित करने का आग्रह कर चुके हैं, पर उनकी भी कोई नहीं सुन रहा। उधर, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सतिंद्र वर्मा का कहना है कि अस्पताल में जगह का अभाव है। ओपीडी के बाहर मरीजों को बैठने की जगह नहीं है। मामला विभाग के उच्चाधिकारियों के ध्यान में है।
-----------
अस्पताल भवन में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसके बारे में विभाग को लिखा गया है। अस्पताल में 100 बैड लगाने के लिए जगह नहीं है।
-डॉ. दिलावर सिंह, खंड चिकित्सा अधिकारी।