नियम तो बड़ी दूर..पहले स्कूल बसें तो लगाओ हजूर
स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की लापरवाही स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा
स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की लापरवाही स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा रही है। हर माह सैकड़ों रुपये देने के बावजूद बच्चों को निजी वाहनों में भेड़-बकरियों की तरह घर से स्कूल पहुंचाया जा रहा है। रुपये खर्च करने के बाद बच्चों को अच्छी शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन उनकीसुरक्षा रामभरोसे है। कहने को तो स्कूली बच्चों के लिए कई नियम बनाए हैं, लेकिन जिले में इन नियमों का पालन एक फीसद भी नहीं किया जा रहा है।
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कोर्ट के आदेश का नहीं किया जा रहा पालन
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए न्यायालयों ने भी आदेश दिए हैं लेकिन धरातल स्तर पर ये लागू नहीं हो रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि जिला कांगड़ा में आज दिन तक निजी स्कूल प्रशासन विद्यार्थियों के लिए स्कूली बसें तक नहीं लगा पाए हैं। किस स्कूली बस में कितने बच्चे आने हैं, जिला कांगड़ा में यह बात तो बहुत दूर की है, लेकिन स्कूलों में बसें ही नहीं लग पा रही हैं। बात करो तो स्कूल प्रशासन यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि बच्चों को यहां पहुंचाना अभिभावकों की जिम्मेदारी है और क्षेत्रीय परिवहन प्रशासन औपचारिकताएं ही पूरी किए जा रहा है। अभी बसें ही नहीं लगाई जा रही हैं तो बाकी नियम तो अभी जिले में बहुत दूर दिख रहे हैं। यही कारण है कि निजी वाहन चालक मर्जी से बच्चों को ढो भी रहे हैं और उन्हें भेड़-बकरियों की तरह ठूंस-ठूंस ले जा रहे हैं।
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ये हैं नियम
-स्कूली वाहन का रंग पीला होना चाहिए।
-वाहन में स्कूल बस बड़े अक्षरों में लिखा होना चाहिए।
-स्कूल वाहन में बच्चों के अलावा सवारियां न ढोएं।
-गाड़ी के सामने शीशे में बच्चों की संख्या, उनके नाम व परिजनों का संपर्क नंबर होना चाहिए।
-विशेष स्पीड रीडिंग सिस्टम होना चाहिए।
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विद्यार्थियों की संख्या के लिए नियम
-12 वर्ष से कम आयु के बच्चे दो सीटों में तीन बैठे सकते हैं।
-12 वर्ष से अधिक आयु होने पर प्रति बच्चा एक सीट।
-वाहन की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न हो।
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'बच्चों की सुरक्षा के लिए वाहन चालकों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा नियमों की पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।' -संतोष पटियाल, एसपी कांगड़ा
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जागा प्रशासन : आरटीओ ने किए 11 स्कूली गाड़ियों के चालान
नियमों को ताक पर रखकर स्कूली बच्चों को ढोने वाले निजी वाहन चालकों पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बुधवार को शिकंजा कसा। इस दौरान अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने 11 गाड़ियों के चालान काटे। धर्मशाला-पालमपुर रोड पर नाका लगाकर 11 स्कूली टैक्सियों के चालान काटे। इस दौरान 5700 रुपये का जुर्माना भी वसूला। उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने बुधवार के अंक में 'कितने सुरक्षित हैं स्कूली बच्चे' अभियान के तहत परिवहन विभाग की स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही पर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इसका संज्ञान लेते हुए बुधवार को ही विभाग के अधिकारियों ने नाकेबंदी कर कार्रवाई की है। उधर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि किसी भी सूरत में बच्चों की सुरक्षा से समझौता सहन नहीं किया जाएगा।
-प्रस्तुति: जागरण संवाददाता, धर्मशाला