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छात्रवृत्ति घोटाले की होगी सीबीआइ जांच

250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की अब जल्द ही सीबीआइ जांच आरंभ होगी। 3 दिन के भीतर सरकार इस मामले को देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी को सौंप देगी। शनिवार को राज्य विधानसभा में इस घोटाले की प्रमुखता से गूंज हुई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 08:26 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 08:26 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले की होगी सीबीआइ जांच
छात्रवृत्ति घोटाले की होगी सीबीआइ जांच

राज्य ब्यूरो, धर्मशाला : 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जल्द सीबीआइ जांच होगी। तीन दिन के भीतर सरकार इस मामले को देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी को सौंप देगी। शनिवार को विधानसभा में इस घोटाले की गूंज उठी। इस पर विपक्ष के सदस्य जगत ¨सह नेगी ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान हंगामा किया। हंगामे के बीच नेगी और शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष ने चंद मिनटों के लिए वाकआउट कर दिया। मंत्री ने कांग्रेस विधायकों पर घोटाले के दोषियों को बचाने के आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार घोटालेबाजों को सलाखों के पीछे पहुंचाएगी। यह घोटाला पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ है व मौजूदा सरकार ने इसे पकड़ा है। पहले शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक जांच की और बाद में 16 नवंबर को शिमला में पुलिस ने एफआइआर दर्ज की। अब इसे दोबारा गृह और कार्मिक विभाग के माध्यम से सीबीआइ को भेजा जाएगा। राज्य की एजेंसियां इसकी जांच नहीं कर पाएंगी, क्योंकि इसमें प्रदेश के अलावा बाहरी राज्यों के विश्वविद्यालय समेत कई संस्थान संलिप्त हैं। राष्ट्रीयकृत बैंक भी जांच के दायरे में आएंगे। एक ही छात्र का नाम चार-चार जगह दर्ज है। संस्थानों ने बिना आधार के छात्रों के खाते खोले और बैंकों से इन्होंने सीधे पैसा निकाला था।

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जैसे नीरव भागे, वैसे ये भागेंगे : नेगी

जगत सिंह नेगी ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान आरोप लगाया कि जैसे नीरव मोदी विदेश भागा, वैसे ही इस घोटाले के आरोपित भी विदेश भाग जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार ने अब तक एफआइआर दर्ज नहीं की है। इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि घोटाला पूर्व सरकार के वक्त 2017 से पहले का हुआ है। घोटालेबाज पॉलिटिकल और ब्यूरोक्रेट के यहां हाथ-पांव मार रहे हैं लेकिन सरकार सीबीआइ के जरिये दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहती है।

मुख्यमंत्री ने हंगामे पर जताया एतराज

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रवृत्ति बड़ा नेक्सेस है। कई राज्यों में भी ऐसे ही घोटाले हुए हैं। राज्य सरकार जल्दबाजी में नहीं है लेकिन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। सरकार तीन दिन के भीतर रिपोर्ट सीबीआइ को भेज देगी। उन्होंने सवाल उठाया कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने यह घोटाला पांच वर्ष पूर्व क्यों नहीं पकड़ा। विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस जांच के पक्ष में है लेकिन मंत्री यह बताएं कि नाहन का वह व्यक्ति कौन है, जो 40 से 50 करोड़ हड़प गया? जवाब में मंत्री ने कहा कि यह तो आपको पता होगा। कहा कि हिमालयन टेक्नीकल संस्थान का भी नाम आरोपितों में है। ये संस्थान कांग्रेस सरकार के वक्त बने हैं। मुख्यमंत्री ने विपक्ष के हंगामे पर एतराज जताया।

सरकार ने की है सीबीआइ जांच की सिफारिश

राज्य सरकार ने इस मामले में सीबीआइ जांच की सिफारिश की है। इस मामले को सरकार ने केंद्र सरकार के प्रारंभिक एवं प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी को भेज है। वहां से इसे सीबीआइ के पास दिया गया। सीबीआइ ने पिछले दिनों प्रदेश सरकार को पत्र लिखा है। इसमें पूछा गया था कि क्या इस बारे में हिमाचल में कोई प्राथमिकी दर्ज है या नहीं? इससे संबंधित कुछ और जानकारियां भी मांगी गई थी लेकिन तबसे अब तक सरकार पुलिस में प्राथमिकी दर्ज नहीं करवा पाई है। उस सूरत में सिफारिश को केवल शिकायत माना जाएगा।

क्या है घोटाला

घोटाले की जांच से पता चला है कि छात्रवृत्ति की कुल रकम का करीब 80 फीसद बजट मात्र 11 फीसद निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को दिया गया है। 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए हैं। आरोप है कि इन संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी रकम को डकारा। जनजातीय क्षेत्रों के छात्रों को कई साल तक स्कॉलरशिप नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा है। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013-14 से 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर छात्रों को 266.32 करोड़ दिए गए है। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में हुई है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में कुल 260 करोड़ 31 लाख 31 हजार 715 रुपए दिए गए हैं। छात्रवृत्ति की जो राशि प्रदेश के छात्रों को मिलनी थी, उसे देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में गलत तरीके से बांटे जाने का आरोप है।


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