नेताओं के दामन पर 20 दाग
प्रदेश के नेताओं के दामन पर 20 दाग लगे हैं। भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को सरकार वापस लेगी। इनमें कई नामी नेता भी हैं। कई सत्ता में अहम ओहदेदार हैं। सरकार की दलील है कि ये मामले इस कारण वापस हो रहे हैं, क्योंकि ये गंभीर प्रवृति के नहीं हैं, और पूर्व सरकार के कार्यकाल में यह राजनीतिक आधार पर दर्ज किए गए थे। लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि सरकार अपने नेताओं पर मेहरबानी दिखा रही है। कई मामलों में विधि विभाग से भी परामर्श लिया गया। सरकार इन नेताओं
रमेश ¨सगटा, धर्मशाला
प्रदेश के नेताओं के दामन पर 20 दाग लगे हैं। भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को सरकार वापस लेगी। इनमें कई नामी नेता भी हैं। कई सत्ता में अहम ओहदेदार हैं। सरकार की दलील है कि ये मामले इस कारण वापस हो रहे हैं, क्योंकि ये गंभीर प्रवृति के नहीं हैं और पूर्व सरकार के कार्यकाल में ये राजनीतिक आधार पर दर्ज किए गए थे। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि सरकार अपने नेताओं पर मेहरबानी दिखा रही है। कई मामलों में विधि विभाग से भी परामर्श लिया गया। सरकार इन नेताओं पर मेहरबानी दिखा रही है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, ओएसडी, मंत्री, विधायक व पूर्व विधायक तक शामिल हैं। इसके अलावा एक कांग्रेस नेता भी है। किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन में सवाल उठाया कि आखिर ये कैसा रामराज्य है, जिसमें 19 दागियों के खिलाफ सरकार केस वापस ले रही है। कानून को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है। नेगी के अनुसार बेहतर होगा कि इन्हें कोर्ट से बेदाग होकर निकलने दें।
कौन- कौन हैं नेता
-डॉ. राजीव ¨बदल
-हंसराज
-महेंद्र धर्माणी
-गो¨वद ठाकुर
-रामस्वरूप
-राकेश जम्वाल
-सुरेंद्र शोरी
-जीया लाल
-विक्रम जरयाल
-राकेश जम्वाल
-विनोद कुमार
-हीरालाल
-शकुंतला देवी
-बलवीर चौधरी
-राजकुमार डोगरा
-केके कौशल
-बलदेव शर्मा
-बालकृष्ण
-रणधीर शर्मा
-कुलदीप पठानिया, कांग्रेस नेता
क्या पूछा था सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर ¨सह सुक्खू ने सवाल पूछा था कि सरकार इस साल पहली जनवरी से 5 नवंबर तक कितने राजनेताओं के विरुद्ध केस वापस लेने का विचार रखती है। ये केस किन धाराओं में दर्ज हैं? क्या आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल हो गए हैं या नहीं? क्या भविष्य में ऐसे मामलों को वापस लेने का विचार रखती है। इसके जवाब में बुधवार को सरकार ने कार्यसूची में पूरी सूची दी। सुबह 11 बजे यह सवाल प्रश्नकाल की कार्यसूची में था। इसे 944 नंबर दिया गया था लेकिन बाद यह सूची से गायब हो गया। इस पर विपक्ष ने सवाल उठाया। कांग्रेस विधायकों ने एजेंडे के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
वीरवार को पूछा सवाल
सुखविंदर सिंह सुक्खू वीरवार को सदन में आए। उन्होंने प्रश्न हटाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अदालत में चल रहे मामलों पर चर्चा से इन्कार तो समझ आता है पर सरकार ने मामले वापस लेने के क्या प्रयास किए, यह तो बताएं? बाद में सदन के बाहर उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी मामले वापस लेने का विरोध करेगी। राजनीतिक आधार पर दर्ज मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है। पूर्व में भी ये वापस लिए गए हैं। अधिकांश मामले धरना- प्रदर्शन व रोड जाम होने से संबंधित हैं। कई मामलों में अभियोजन स्वीकृति इन्कार करने के बाद भी कोर्ट मामलों को बंद नहीं करता। हम वहीं मामले वापस लेंगे, जो लेने लायक होंगे।
-जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री जो भी मामले अदालतों के विचाराधीन हैं, उन पर सदन में चर्चा नहीं हो पाती है। नियमों की पूरी पालना करवाना सुनिश्चत की जाएगी।
-डॉ. राजीव बिंदल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव ¨बदल के खिलाफ दर्ज मामले का कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। इसे वापस नहीं लिया जाना चाहिए। आरोप गंभीर हैं। सरकार ने वापस लिया तो कांग्रेस विरोध करेगी।
-वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिमला के सांसद पर नहीं फैसला
शिमला के सांसद वीरेंद्र कश्यप का केस सरकार वापस नहीं लेगी, क्योंकि सरकार की सूची में वह नहीं हैं। उनके खिलाफ कई वर्ष पूर्व विजिलेंस ने केस दर्ज किया था। यह कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। अब कोर्ट में चल रहा है। मंडी के सांसद को राहत
सरकार ने मंडी के सांसद रामस्वरूप को राहत दी है। उनके खिलाफ दर्ज मामले को वापस करने की संस्तुति की है। पूर्व कांग्रेस सरकार ने तत्तापानी में धरने मे बैठने पर केस दर्ज किया था। यह अब कोर्ट से वापस हो गया है। मेहरबानी का सवाल पैदा नहीं होता। करसोग की कोर्ट ने राहत जरूर दी है। हम दस से पंद्रह लोग आरोपित थे।
-रामस्वरूप शर्मा, सांसद, मंडी विधानसभा के एजेंडे के साथ छेड़छाड़ हुई है। सवाल कैसे गायब हो गया? यह गंभीर विषय है। सरकार की मंशा है क्या? कोटखाई मामले में भाजपा ने सियासी रंग देकर सत्ता में भगवा रंग भरा, उन मामलों को भी सरकार को वापस लेना चाहिए। सरकार की नीति और नीयत दोनों में खोट है।
-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष पूर्व सरकार ने मेरे खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। तब मैं पार्टी का जिला का अध्यक्ष था। एचपीसीए क्रिकेट स्टेडियम तोड़ने का हमने विरोध जताया तो इसकी सजा भुगती।
-सुरेंद्र शोरी, विधायक बंजार