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हंगामे के बीच 25 मिनट स्थगित रही सदन की कार्यवाही

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 25 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित रही, दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर से नारेबाजी की।

By Edited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 03:01 AM (IST)
हंगामे के बीच 25 मिनट स्थगित रही सदन की कार्यवाही
हंगामे के बीच 25 मिनट स्थगित रही सदन की कार्यवाही

धर्मशाला, जेएनएन। शीतकालीन सत्र के चौथे दिन वीरवार को 25 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित रही। प्रश्नकाल खत्म होते ही सदन की गरिमा को भंग करने पर विधायक राकेश पठानिया ने विधानसभा अध्यक्ष से प्रस्ताव लाने के लिए कहा तो विपक्ष उखड़ गया। पठानिया के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, सरकार सदस्यों से गुंडागर्दी करवा रही है। इस पर पक्ष-विपक्ष में नोकझोंक हुई।

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सदन में चल रहे शोरगुल के बीच कार्यवाही अध्यक्ष ने करीब 25 मिनट के लिए स्थगित कर दी। जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर से नारेबाजी की। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, सरकार की यह प्रायोजित गुंडागर्दी है। इस बीच राकेश पठानिया ने भी जवाब देना शुरू कर दिया तो संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री का सदस्यों पर कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री को पूर्व में स्पीकर की कुर्सी पर बैठने की याद दिलाई तो सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह इसकी सजा भुगत चुके हैं।

बकौल मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष मुख्यमंत्री नहीं बनाता है। यह कोई खैरात नहीं है जो उन्हें दी गई है और वह इस पद को लौटाने के लिए भी तैयार हैं। इस बीच किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने भाजपा नेताओं पर बने मामलों को वापस लेने के लिए सरकार से प्रश्न किया। उन्होंने कहा, यह कैसा राम राज्य है कि अपनों पर बनाए गए मामलों को वापस लिया जा रहा है तो इस पर मुख्यमंत्री ने सदन में जवाब दिया। शीत सत्र का चौथा दिन प्रश्नकाल, आपातकाल व राहतकाल लेकर भी चला। पहले पक्ष-विपक्ष में नोकझोंक हुई और बाद में संकल्पों को लेकर सदन में पक्ष-विपक्ष ने आपसी सहयोग से कार्यवाही को आगे बढ़ाया।  

विपक्ष ऐसे शब्दों का प्रयोग न करे जिससे किसी को पीड़ा हो। पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रेम कुमार धूमल को भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया था, लेकिन हमने बदले की भावना से काम नहीं किया है। सदन में दोनों ओर से संवाद का होना जरूरी है। संवाद नहीं होगा तो एक-दूसरे की भावनाओं को समझा नहीं जा सकता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे दौर आते और जाते हैं लेकिन हम पुरानी बातों को दोहराना नहीं चाहते हैं। सरकार के पास इस बात का रिकॉर्ड है कि पूर्व में कांग्रेस ने अपने नेताओं के कितने मामले वापस लिए थे।

-जयराम ठाकुर, मुख्यमंत्री

विपक्ष के आरोप निराधार हैं कि वे सरकार के दबाव में कार्य कर रहे हैं। सदन में जो भी एजेंडे आते हैं वे सबके सामने हैं। प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के लिए मना नहीं किया, लेकिन सदन में शोरगुल के कारण कार्यवाही को स्थगित किया है। सदन नियमों से चलता है और सभी विधायकों के एजेंडे शामिल किए जाते हैं। रिकॉर्ड गवाह है कि विपक्ष के साथ कभी भेदभाव नहीं किया है। जो मामले अदालत में हैं, उन पर चर्चा के लिए मनाही की है।

-डॉ. राजीव बिंदल, विधानसभा अध्यक्ष

सत्ता पक्ष सरकार चलाए, सदन नहीं। सरकार ने ही नेता प्रतिपक्ष बनाने की अधिसूचना जारी की है और अगर सरकार चाहे तो इसे वापस ले ले। मैं इसे लौटाने के लिए तैयार हूं। सदन में सरकार की प्रायोजित गुंडागर्दी की जा रही है और यह असहनीय है।

-मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष


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