ज्वालामुखी में धूमधाम से शुरू हुए गुप्त नवरात्र
कांगड़ा के विश्वविख्यात ज्वालामुखी मंदिर में शनिवार से गुप्त नवरात्रे शुरू हो गए
विभु शर्मा, ज्वालामुखी: जिला कांगड़ा के विश्वविख्यात ज्वालामुखी मंदिर में शनिवार से गुप्त नवरात्रे शुरू हो गए। इस उपलक्ष्य पर पुजारी विश्व कल्याण और विश्व शांति के लिए लगातार नौ दिन विशेष जप व पूजा करेंगे। मंदिर में गुप्त नवरात्रों पर होने वाली पूजा का शुभारंभ एसडीएम राकेश शर्मा ने किया। उन्होंने इस मौके पर
कन्या पूजन किया व नवरात्रों के दौरान अनुष्ठान पर बैठने वाले लगभग 80 ब्राह्मणों और पुजारियों को संकल्प दिलाया। एसडीएम राकेश शर्मा ने बताया कि गुप्त नवरात्रों के दौरान विश्व शांति व विश्व कल्याण के लिए मां ज्वाला के मूल मंत्र, बटुक भैरव व अन्य जप किए जाएंगे। न्यास की ओर से प्राचीन परंपराओं को बरकरार रखा जाएगा।
अनुष्ठान के नौवें दिन हवन पूजा व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस दिन देश-विदेश से मां के भक्त हवन में आस्था व श्रद्धा की आहुतिया डालकर पुण्य फल प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर कार्यकारी मंदिर अधिकारी ए के गुलेरी, मंदिर न्यास सदस्य पुजारी मधुसूदन शर्मा, पु प्रशांत, पु कृष्ण स्वरूप, देशराज भारती, जेपी दत्ता, प्रताप चौधरी, सौरभ शर्मा सहित मंदिर न्यास के कर्मचारी व पुजारी वर्ग भी उपस्थित थे। मन्दिर ट्रस्ट सदस्य व पुजारी मधुसूदन शर्मा ने कहा कि विश्व शांति व जन कल्याण के लिए साल में दो बार होने वाले गुप्त नवरात्र के लिए मंदिरन्यास कृत संकल्प है। पुजारी लव शर्मा, राहुल व विकास ने कहा कि आयोजन में भाग लेने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आइये जानिए क्या है गुप्त नवरात्र
हिन्दू धर्म में नवरात्र मां दुर्गा की साधना के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद
विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इस नवरात्र के बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है।
गुप्त नवरात्र 2018 की अवधि
इस वर्ष यानी 13 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रों का आरंभ हो रहा है और 21 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल नवमी को इनका समापन हो जाएगा ।
गुप्त नवरात्र पूजा विधि
मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
गुप्त नवरात्र का महत्त्व
देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
गुप्त नवरात्र की प्रमुख देवियां
गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।