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नूरपुर बस हादसा : सरकार आई; फूल चढ़ाए.. हो गई इतिश्री

नूरपुर में स्‍कूल बस हादसे को हुए छह माह का समय बीत गया है, लेक‍िन अब भी कई सवाल ऐसे हैं, ज‍िनका जबाव नहीं म‍िल पाया है।

By Munish DixitEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 12:53 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 12:53 PM (IST)
नूरपुर बस हादसा : सरकार आई; फूल चढ़ाए.. हो गई इतिश्री
नूरपुर बस हादसा : सरकार आई; फूल चढ़ाए.. हो गई इतिश्री

मुनीष गारिया, धर्मशाला। उपमंडल नूरपुर के चेली गांव में नौ अप्रैल, 2018 को हुए स्कूल बस हादसे के पीडि़त परिवारों का दर्द शायद ही कोई भुला पाएगा। गांव में हालात ऐसे हैं कि हर कोई एक-दूसरे के कंधे पर सिर रखकर रोने के लिए मजबूर हैं। सात माह से इधर-उधर गुहार लगाने के बाद भी पीडि़त परिवारों को न्याय मिलता नहीं दिख रहा है। परिजन पुलिस व प्रशासन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। लोनिवि ने घटनास्थल पर पैरापिट तो लगा दिए हैं और पांच किलोमीटर मलक्वाड से स‍िंबली वाया चेली सड़क पर डेढ़ किलोमीटर तक कोलतार डाल दी है और शेष भाग अभी जस का तस ही है।

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हादसे में 24 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी। बस में कुछ नौनिहाल ऐसे भी थे, जो कि पहली बार स्कूल गए थे। हादसे के छह माह बीतने के बाद भी इंसाफ न मिलने से परिजन मायूस हैं। हैरानी की बात यह है कि सरकार आई, फूल चढ़ाए और मुआवजा दिया, लेकिन नहीं मिला इंसाफ? कब मिलेगा इंसाफ इसी आस को लेकर बच्चों के परिजन विधायकों की पत्नियों से भी इंसाफ की गुहार लगाएंगे। इससे पहले परिजन डीसी कार्यालय धर्मशाला में इंसाफ की गुहार लेकर नाक रगड़कर इंसाफ यात्रा भी निकाल चुके हैं।

बेबस मां-बाप का कहना है कि उन्हें इंसाफ चाहिए और वे मुआवजा सरकार को लौटाने के लिए तैयार हैं। पुलिस ने एफआइआर में जिस व्यक्ति का बयान दर्ज किया था, उसके अनुसार चालक तेज गति से बस चला रहा था और बाद में वही बयान से पलट गया। फिर उसने बयान दिया कि वह मौके पर ही नहीं था। पुलिस ने भी इसे हल्के में लिया। पुलिस यह भी नहीं बता रही है कि किस कर्मी ने एफआइआर दर्ज की है और वह कहां तैनात है।

कब क्या हुआ

9 अप्रैल : स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त हुई।

10 अप्रैल : मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री नूरपुर पहुंचे और न्यायिक जांच का आदेश दिया।

21 अप्रैल : गायत्री सेवा समिति ने घटनास्थल पर करवाया शांति हवन।

8 मई : एडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट में चालक की लापरवाही सामने आई।

10 मई : परिजनों ने नकारी प्रशासन की रिपोर्ट।

18 मई : परिजन एसपी से मिले और जांच पर उठाए सवाल।

3 जून : हाईकोर्ट के आदेश पर स्कूल प्रबंधन, शिकायतकर्ता व ट्रकचालक के खिलाफ केस दर्ज।

4 सितंबर : परिजनों ने उठाई सीबीआइ जांच की मांग

10 सितंबर : परिजन नाक रगड़ कर डीसी कार्यालय पहुंचे, न्याय की गुहार लगाई।

19 अक्टूबर : परिजनों ने सभी विधायकों की पत्नियों को भेजे पत्र।

सरकार कम से कम हादसे की वजह तो बता देती। कुछ लोगों ने कहा कि चालक को हार्ट अटैक हुआ था, लेकिन कहीं भी इसका उल्लेख नहीं है। अब हमें प्रशासन व पुलिस की जांच पर विश्वास नहीं है, इसलिए मामले को सीबीआइ के पास भेजा जाए। -सुरक्षा देवी।

सड़क की हालत सबसे अधिक खराब थी, जहां बस गिरी, वहां सड़क का हिस्सा ही गिरा हुआ था। कई बार लोगों ने विधायक से लेकर विभाग के अधिकारियों को बताया पर कोई नहीं जागा।

नरेश कुमार- मीना देवी।

पुलिस एवं प्रशासन अगर इतना निष्पक्ष है तो मामले की जांच के लिए धर्मशाला से टीम क्यों भेजनी पड़ी। फिर भी अगर प्रशासन सच्चा है तो वह सीधे मामला सीबीआइ में पास क्यों नहीं दे देती। अगर 10 से 15 दिन के भीतर मामले के जांच रिपोर्ट पेश नहीं की तो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। -विक्रम स‍िंह।

इतने बड़े हादसे में बाद भी प्रशासन नहीं जागा है। इससे बच्चों के प्रति प्रशासन की मानसिकता साफ दिखती है कि वह देश के भविष्य की सुरक्षा के लिए कितना सचेत हैं। -कमलजीत स‍िंह-सीमा देवी।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार शर्मा की अगुवाई में मामले की निष्पक्षता से जांच करवाई गई है। -संतोष पटियाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कांगड़ा।


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