जसवां के किसानों को मिला सरकारी भूमि पर मालिकाना हक
जसवां, डाडासीबा व देहरा तहसील के किसानों के हक में जय राम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।
संवाद सूत्र, डाडासीबा : जसवां, डाडासीबा और देहरा तहसील के किसानों के हक में जयराम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस निर्णय से अब किसी के घर को सरकारी भूमि से उखाड़ा नहीं जाएगा और न ही अन्य अधिकारों से किसान वंचित होंगे। प्रदेश सरकार ने पूर्व के सभी दस्तावेजों के अवलोकन करने पर यह पाया कि कहीं न कहीं गलती से मुजारों की जमीन सरकार के नाम दर्ज कर दी थी। सीलिंग एक्ट लागू होने के बाद राजा हरमिंदर ¨सह ही नहीं बल्कि मुजारों की अधिकांश जमीन भी सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड में अपने नाम दर्ज कर ली थी। इसका किसान लगातार विरोध कर रहे थे। क्षेत्र के किसानों ने 40 वर्ष की लंबी लड़ाई लड़ी और 2012 में किसान सभा रियासत डाडासीबा का गठन किया गया। किसानों के पक्ष में फैसला आने के बाद जसवां, डाडासीबा और देहरा तहसील के किसान तपोवन विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उद्योग मंत्री बिक्रम ¨सह ठाकुर का धन्यवाद करने पहुंचे।
किसानों ने उद्योग मंत्री के साथ मुलाकात की और इस दौरान कांगड़ा के उपायुक्त संदीप कुमार भी उपस्थित रहे। उद्योग मंत्री ने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि सरकार ने मुजारे की मांग को मान लिया है। एसडीएम देहरा से पूरे मामले की छानबीन करवाई गई। अंतिम रिपोर्ट में पाया गया कि सरकार से इस संदर्भ में बड़ी भूल हुई है। जो भूमि मुजरों को मिलनी चाहिए थी, उससे उन्हें वर्षो तक वंचित रखा गया। किसान सभा के अध्यक्ष एसएस सपेहिया, कोषाध्यक्ष यशपाल ठाकुर व वीरेंद्र ¨सह की अगुवाई में प्रभावित किसानों ने बताया कि जयराम सरकार के इस निर्णय से 42 टीकों के किसान लाभांवित होंगे। वहीं मंत्री ने कहा कि सरकारी अधिकारियों के अलावा वन विभाग के अधिकारी समय-समय पर किसानों को कब्जा छोड़ने की चेतावनी जारी करते थे। वर्षो तक प्रताड़ना सहने के बाद तीनों तहसीलों के सैकड़ों किसानों को बड़ी राहत मिली है। समाहर्ता जिला कांगड़ा संदीप कुमार ने बताया कि हिमाचल प्रदेश मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा 104 (3) के तहत किसानों को मालिकाना हक प्रदान किया गया है। उद्योग मंत्री के मुताबिक इस निर्णय से 1000 से ऊपर परिवार लाभांवित होंगे।