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बड़ा भंगाल में घुमंतू पशुपालकों के लिए भी राशन पहुंचाए सरकार

बड़ा भंगाल के जंगलों में रहने वाले घुमंतू पशुपालकों ने प्रशासन से बड़ा भंगाल में राशन पहुंचाने की मांग की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 08:36 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 08:36 PM (IST)
बड़ा भंगाल में घुमंतू पशुपालकों के लिए भी राशन पहुंचाए सरकार
बड़ा भंगाल में घुमंतू पशुपालकों के लिए भी राशन पहुंचाए सरकार

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : बड़ा भंगाल के जंगलों में रहने वाले घुमंतू पशुपालकों ने जिला प्रशासन से उनके लिए राशन बड़ा भंगाल पहुंचाने की मांग की है। इस संबंध में हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासभा के अध्यक्ष राजकुमार भट्ट व सचिव पवना कुमारी के नेतृत्व में पशुपालकों ने सोमवार को धर्मशाला में प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। महासभा के अध्यक्ष राजकुमार भट्ट, सचिव पवना कुमारी, ¨सधु राम, निहाल चंद, विजू राम, साधू राम, राजेश राम, हेमराज, श्याम लाल, रंगील चंद, जो¨गद्र ¨सह, माधा राम, मरठा राम, सकलू राम, रघुवीर, रमेश चंद, नवल किशोर, हरी राम, पुरुषोत्तम चंद, यशपाल, पंदरी देवी, राम प्रताप व प्रकाश चंद ने बताया कि मुल्थान में सात राजस्व गांव आते हैं। बड़ा भंगाल में ही 675 के करीब लोग अस्थायी रूप से रहते हैं। इसके अलावा अन्य छह राजस्व गांव हैं। इनमें घुमंतू पशुपालक चार माह के लिए भेड़-बकरियों के साथ रहते हैं। इन राजस्व गांवों को चौरासी धारों के नाम से जाना जाता है। इस दुर्गम क्षेत्र में जून से सितंबर तक लगभग 1200 के करीब पशुपालक डेढ़ लाख भेड़-बकरियों, कुत्तों और घोड़ों के साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ा भंगाल एवं चौरासी धारों के लोगों के लिए राशन एवं अन्य रोजमर्रा की सामग्री घोड़े एवं खच्चरों के माध्यम से राजगुंधा से पालचक-पनिहाटू-थमसर जोत से बड़ा भंगाल तक पहुंचाई जाती है, लेकिन इस बार यह मार्ग अप्रैल माह से क्षतिग्रस्त है। इस कारण राशन नहीं पहुंच पाया है। मौजूदा समय में दूसरा विकल्प पतलीकूहल से संगचर-कालीहानी जोत से बड़ा भंगाल है। यह अत्यधिक लंबा है। इस रास्ते में नालों पर पुल नहीं है। बारिश में नालों में पानी का स्तर बढ़ने के कारण रास्ते में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शेष सभी रास्ते तंग हैं, उनसे केवल छोटे पशु ही गुजरते हैं। चौरासी धारों में रह रहे पशुपालक राशन व नमक के लिए बड़ा भंगाल पर ही निर्भर हैं। अप्रैल माह से जोहड़ी के पास रास्ता क्षतिग्रस्त होने के कारण पशुपालक अपने घोड़ों में पर्याप्त मात्रा में राशन व नमक नहीं ले जा सके हैं। बड़ा भंगाल में भी राशन समाप्त होने की कगार पर है, जबकि अभी पशुपालकों को करीब 50 दिन यहां और गुजारने हैं।

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ये भी हैं मांगें

-बड़ा भंगाल गांव में राशन आपूर्ति के साथ पशुपालकों को भी गांव में ही राशन एवं नमक पहुंचाया जाए।

-घोड़े एवं खच्चर योग्य क्षतिग्रस्त रास्ते एवं पुलों के निर्माण के लिए आवश्यकतानुसार धनराशि उपलब्ध करवाई जाए। इनका निर्माण पशुपालकों की देखरेख में हो, ताकि धन का सदुपयोग हो।

-भुज¨लग ठणगाहर से मकोड़ी जोत से होकर कालीहानी नाले में कमेड को जोड़ने वाले रास्ते को भी घोड़े एवं खच्चर योग्य बनाया जाए।


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