गौरी केंद्र में रहेंगी बेसहारा गायें
प्रदेश की बेसहारा गाय अब न तो सड़कों पर घूमेगी और न ही गौ सेंच्यूरी में रहेगी। प्रदेश सरकार गायों के लिए गौ विज्ञान केंद्र स्थापित करेगी। जिसका नाम गौरी रखा जाएगा।
जागरण संवाददाता, धर्मशाला : प्रदेश की बेसहारा गायें अब न तो सड़कों पर घूमेंगी और न ही गो सेंक्चुअरी में रहेंगी। अब प्रदेश सरकार गो विज्ञान केंद्र खोलेगी और इसका नाम गौरी रखा जाएगा। गौरी केंद्र में केवल पहाड़ी नस्ल की गायों को ही रखा जाएगा। यहां बेहतर देखभाल के साथ-साथ उनकी नस्ल में सुधार पर भी शोध किए जाएंगे। इसके अलावा हर जिले में कम से कम एक गो सेंक्चुअरी खोली जाएगी। यह बात पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सदन में कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध के नियम-101 के तहत गो माता को राष्ट्रमाता घोषित करने की सिफारिश की चर्चा के जवाब में कही। उन्होंने कहा, गो माता को राष्ट्रीय माता घोषित करने की सिफारिश प्रदेश सरकार केंद्र से करेगी। 2012 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 21.49 लाख गायें हैं। इनमें 11.65 लाख देसी और 9.84 लाख विदेशी नस्ल की हैं। देसी गायों की नस्ल को विकसित करने के लिए गौरी केंद्र बनाया जाएगा। सरकार ने यह प्रस्ताव राष्ट्रीय पशु अनुवांशिकी संस्थान को भेजा है। प्रारंभिक चरण में सिरमौर के कोटला बडोग व जय¨सहपुर के कगैन, ज्वालामुखी के मझीण में 553 कनाल क्षेत्र में गो सेंक्चुअरी बननी प्रस्तावित है। इससे पूर्व प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए विधायक अनिरुद्ध ने कहा कि गायें बेसहारा होकर गलियों में गंदगी खाने के लिए मजबूर है लेकिन इस संबंध में कभी कोई ध्यान नहीं देता है, इसलिए गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की जरूरत है। सड़कों पर बेसहारा घूम रही गायों की इस हालत के लिए प्रदेश सरकार भी जिम्मेदार है। इनके संरक्षण के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
किशोरी लाल स्थिति यह है कि गाय दूध दे तो हमारी, नहीं तो सरकारी कर दी जाती है।
कमलेश कुमारी देसी गायें विदेशी ले गए और वहां इनसे अच्छे परिणाम ले रहे हैं। इसके विपरीत यहां के लोग विदेशी नस्लों को लाकर भी कुछ नहीं कर पाए।
हीरा लाल जब भी गाय का मुद्दा उठता है तो बचपन के पढ़े गाय के निबंध याद आते हैं। धरातल स्तर पर इस निबंध पर अमल नहीं होता है।
सुरेश कश्यप गोमाता की सेवा के नाम पर गोसदन में राजनीति की जा रही है। गोसदनों को राजनीति का अखाड़ा बनाकर रख दिया है।
विक्रमादित्य ¨सह। गो माता के साथ जघन्य अपराध हो रहे हैं। कभी गाय की पूंछ काटी जा रही है तो कहीं उनके थन काटे जा रहे हैं और यह सही नहीं है।
रमेश धवाला