डर से बड़ी है जिम्मेदारी
सुबह उठकर रोटी पके न पके ब्रेकफस्ट मिल न मिले पर शहर को साफ रखना है तो शहर की कूड़ा उठाना हमें ही पड़ेगा। पहले तो सामान्य था रोज दिहाड़ी लगाने की तरह निकल पड़ते थे। अब जब कोरोना वायरस फैला है तो कूड़ा उठाने की जिम्मेवारी चार गुना बढ़ गई है। ऐसा नहीं की जिला प्रशासन या ठेकेदार ने कोई बड़ा दबाव बनाया है लेकिन खुद भी लगता है कि हमारी की सफाई से शहर साफ रहेगा और संक्रमण की खतरा भी कम होगा।
मुनीष गारिया, धर्मशाला
शहर को साफ रखना है तो कूड़ा उठाना ही पड़ेगा। डर तो हमें भी लगता है, लेकिन उस डर से बड़ी जिम्मेदारी है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए हमारी जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। ये शब्द कोरोना वायरस के लड़ने वाले उन योद्धाओं की हैं जो गुमनामी में बड़ा काम कर रहे हैं।
धर्मशाला शहर का कूड़ा उठाने वाले सफाई कर्मियों का कहना है कि उन पर जिला प्रशासन या ठेकेदार का कोई दबाव नहीं है, लेकिन हमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास है। शहर साफ रहेगा तो संक्रमण का खतरा भी कम होगा। ऐसे समय में अस्पतालों में तैनात डॉक्टरो और चौक पर तैनात पुलिस कर्मियों को देखकर भी हौसला मिलता है। वायरस से शहर को बचाने में हम भी योगदान देकर कुछ पुण्य कमा लेते हैं। गर्व के साथ व्यवस्था से भी शिकायत जब से लॉकडाउन हुआ है सुबह ब्रेकफास्ट नहीं कर पा रहे। खाली पेट दोपहर तक काम करना पड़ता है। शहर की सफाई करते हैं, लेकिन कोई पानी के लिए भी नहीं पूछता इसका मलाल होता है।
-लखन सिंह, सफाई कर्मी। जिला उपायुक्त ने महिलाओं को काम पर लाने से इनकार किया है। अकेले दिहाड़ी लगाकर पूरा परिवार पालना मुश्किल हो गया है। कथित आर्थिक सहायता अभी आज दिन तक नहीं मिली।
-महिपाल, सफाई कर्मी। समय पर वेतन नहीं मिल रहा, इससे घर चलाना मुश्किल हो गया है। गत दिनों उपायुक्त ने हौसला बढ़ाया है। हमें गर्व महसूस हो रहा है कि कोरोना को भगाने के हम लोग भी साथ दे रहे हैं।
-नरसिम्हा, सफाई कर्मी।