पूर्व अधिशाषी अभियंता के तीन हत्यारों को आजीवन कारावास
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-दो धर्मशाला कृष्ण कुमार की अदालत ने सिचाई एवं जनस्वास्थ्य विभागद के पूर्व अधिशाषी अभियंता की हत्या व उनकी पत्नी की हत्या के प्रयास करने वाले तीन आरोपितों पर दोष सिद्ध होने पर
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश दो धर्मशाला कृष्ण कुमार की अदालत ने आइपीएच विभाग के पूर्व अधिशाषी अभियंता की हत्या के तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तीनों दोषी ज्वालामुखी तहसील क्षेत्र के हैं।
मामले की पैरवी जिला उपन्यायवादी संदीप अग्निहोत्री ने की। उन्होंने बताया कि पूर्व अधिशाषी अभियंता धर्मवीर धर्मांणी पत्नी के साथ ज्वालामुखी में रहते थे। 29 जनवरी, 2015 की रात जब दंपती सोया था तो ज्वालामुखी तहसील के ही रोहित निवासी अंब उच्हेड़, रजत शर्मा निवासी डल डाकखाना कथोग तथा जौड़ा ताल से संबंध रखने वाले ईश्वर ने हथौड़े तथा स्पैनर (पाना) से उन पर वार किए थे। इससे धर्मवीर धर्मांणी की मौके पर ही मौत हो गई थी और पत्नी संतोष धर्मांणी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। वारदात के बाद तीनों दोषियों ने घर से नकदी व जेवरात समेत कीमती सामान चुराने के अलावा चार सिलेंडरों को बिस्तर के पास रखकर वहां आग लगा दी थी। इस दौरान आग की आंच लगने से होश में आई संतोष धर्मांणी ने आस-पड़ोस के लोगों को जानकारी दी थी। इसके बाद पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपितों की धरपकड़ की प्रक्रिया तेज की थी। इस हाई प्रोफाइल मामले में विशेष जांच दल ने आरोपितों को पकड़ा था। तीनों से पुलिस ने गहने भी बरामद किए थे। आरोपितों की ओर से वारदात में प्रयोग किए गए हथियारों को देहरा पुल के नीचे और मौके से ही चुराई गई पूर्व अधिकारी की कार को आरोपितों की शिनाख्त पर पुलिस ने ढलियारा के जंगलों में बरामद किया था। इस मामले में 41 गवाहों के बयानों के आधार पर दोषियों को न्यायाधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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पड़ोसी की हत्या के दोषी को छह साल की जेल, 10 हजार रुपये जुर्माना
संवाद सहयोगी, धर्मशाला : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रणजीत सिंह की अदालत ने जयसिंहपुर तहसील के झमूहं डाकघर के बरालू निवासी कुलदीप सिंह को हत्या का दोष सिद्ध होने पर छह साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में दोषी को छह माह का अतिरिक्त कारावास काटना होगा।
जिला उप न्यायवादी एलएम शर्मा के अनुसार 20 अक्टूबर, 2013 को बरालू का महताब सिंह दिल्ली से घर आया था। 12 नवंबर, 2013 की सायं करीब चार बजे उसने कुलदीप सिंह की ओर से घर की चारदीवारी के लिए करवाए जा रहे कार्य का विरोध किया। इस पर दोनों में झड़प हो गई और कुलदीप सिंह ने महताब पर गैंती के हैंडल से वार कर दिया। इस कारण दिल का मरीज महताब सिंह नीचे गिर गया और उसके बाद कुलदीप सिंह उसकी छाती पर बैठकर घूंसे मारने लगा। हालांकि इस दौरान महताब को पत्नी गोदना देवी व बजीर सिंह ने कुलदीप के चंगुल से छुड़ाया लेकिन तब तक उसकी मौत हो गई थी। यह मामला थाना बैजनाथ में दर्ज हुआ और 302 के तहत आरोपित के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी जिला उपन्यायवादी एलएम शर्मा ने की। इस मामले में कुल 16 गवाह अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए। इसके बाद दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने दोषी को सजा सुनाई है। मामले में छह साल और दो माह बाद फैसला हुआ है।