मछुआरों को दी जाए बुढ़ापा पेंशन
करोड़ों रुपये का लाभ कमाकर देने वाले मछुआरों को आज भी रोजी-रोटी के लाले हैं।
संवाद सूत्र, जवाली : करोड़ों रुपये का लाभ कमाकर देने वाले मछुआरों को आज भी रोजी-रोटी के लाले हैं। प्रदेश में आज तक जितनी भी सरकारें आई किसी ने भी मछुआरों को बुढ़ापा पेंशन सुविधा का प्रावधान नहीं किया। मछुआरों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। मछुआरे सर्दी, गर्मी व बरसात में सुबह चार बजे घर से निकल जाते हैं तथा करीबन 12 बजे फिशरीज सोसायटी में मछली लेकर पहुंचते हैं। सायं करीब चार बजे दोबारा से झील में जाल लगाने के लिए चले जाते हैं। रात को जाल लगाकर घर पहुंचते हैं। उनकी यही दिनचर्या होती है। इतना कुछ करने के उपरांत भी उनके खाते खाली हैं। करीब 45 साल से पौंग झील में 2300 मछुआरे मछली पकड़ने का कार्य कर रहे हैं, कई मछुआरे बुजुर्ग होने पर कार्य को छोड़ चुके हैं और अब उनके आगे की पीढ़ी इस कार्य को कर रही है, लेकिन उनका भविष्य अंधकारमय है।
दी फिशरीज सोसायटीज एसोसिएशन पौंग बांध रिजरवीयर के महासचिव प्रभात सिंह ने कहा कि मत्स्य विभाग द्वारा मछुआरों की मत्स्य अखेट की आयु सीमा 65 वर्ष तक निर्धारित की है, लेकिन इसके उपरांत मछुआरों को विभाग की तरफ से पेंशन की कोई सुविधा नहीं है। मछुआरों के लिए वर्दी, सेफ्टी जैकेट व जंगल शूज का भी कोई प्रावधान नहीं है, जबकि इस बारे बार-बार सरकार को अवगत करवाया जाता है। प्रभात सिंह ने कहा कि सेफ्टी जैकेट न होने के कारण मछुआरा वर्ग अपनी जान को जोखिम में डालकर मछली पकड़ने के लिए उतर जाता है, जिस कारण अगर कोई मछुआरा पानी में गिर जाता है तो उसको अपनी जान गंवानी पड़ती है। बरसात में जंगल शूज न होने के कारण झील किनारे सांप मछुआरों को डंस लेते हैं। प्रभात सिंह ने कहा कि प्रवासी पक्षियों की देखरेख को सरकार लाखों रुपये खर्च कर देती है, जबकि मछुआरों के लिए एक पैसा तक खर्च नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि मछुआरा वर्ग के लिए पेंशन सुविधा का प्रावधान किया जाए तथा सेफ्टी जैकेट व जंगल शूज सहित बरसाती व गर्म वर्दी का प्रावधान किया जाए। इस बार मछुआरों को आस थी कि केंद्र व प्रदेश में भाजपा सरकार होने से उनकी मांगें पूरी हो जाएंगी, लेकिन एक बार फिर से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। मछुआरा संघ ने चेताया है कि अगर इस बार सरकार ने मछुआरों की मांगों को पूरा नहीं किया तो लोस चुनाव का मजबूरन बहिष्कार करना पड़ेगा।