चीनी व नमक अधिक खाया तो सेहत को करेगा नुकसान
नौजवान खाने की गुणवत्ता नहीं, बल्कि स्वादिष्ट भोजन को वरीयता दे रहे हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
धर्मशाला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय पर्यावरण जोखिम मूल्यांकन और खाद्य विषाक्तता था। कार्यशाला में अकादमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च (एसीएसआइआर) के निदेशक एवं वाइस चांसलर राजिंदर सांगवान ने रिस्कंग हेल्थ विदाउट टॉक्सिंस इन ट्रे विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि चीनी और नमक का खाने में अत्यधिक प्रयोग सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।
नौजवान खाने की गुणवत्ता नहीं, बल्कि स्वादिष्ट भोजन को वरीयता दे रहे हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय पारंपरिक भोजन को अपनी आदत में शुमार करना चाहिए। डॉ. इंदुशेखर ने भी इस विषय पर विद्यार्थियों को फूड टॉक्सिसिटी से संबंधित युक्तियां बताई। निफ्टेम के डॉ. प्रारब्ध सी बडगुजर ने रिस्क असेसमेंट ऑफ केमिकल कंटामिनेंट्स विषय पर विचार रखे। सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा से डॉ. तेजपाल ने असेसमेंट ऑफ फ़ूड टॉक्सिसिटी यूजिंग माइक्रो बॉयोलॉजी रिस्क असेसमेंट टूल्स विषय पर अपने विचार साझा किए।
कार्यशाला में खाद्य भंडारण और विषाक्तता का पता लगाने के लिए कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरण और वैज्ञानिक विधियों के बारे में चर्चा की गई। कार्यशाला में विभाग के डीन प्रोफेसर दीपक पंत ने कहा कि हमारे भोजन में प्रदूषण बीज बोने के समय से शुरू हो जाता है। इसलिए इस खाद्य विषाक्तता के सफल पूर्वानुमान को जानना जरूरी है। यह वास्तव में इस कार्यशाला का विषय है। उन्होंने कहा कि खाद्य विषाक्तता भौतिक, रासायनिक, प्राकृतिक तत्वों व सूक्ष्म खतरों के कारण हो सकती है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के सम कुलपति एचआर शर्मा ने कहा कि यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए इस पर विचार करना अति आवश्यक है। हमारे देश में खाद्यान प्रचुर मात्रा में होने के बावजूद उसका सही से उपयोग नहीं हो पाता है। कार्यशाला में विद्यार्थियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विभाग के सदस्य डॉ. अंकित टंडन, अनुराग लिंडा, दिलबाग राणा, शुभांकर और शोद्यार्थी वरुण धीमान, अनविता व अन्य मौजूद रहे।