धूल के आगोश में कांगड़ा, हवा की गुणवता घटी
रेगिस्तान से उड़ रही धूल ने अब पहाड़ों में भी सांस लेना मुश्किल कर दिया है। दो दिन से धूल की हल्की परत से घिर रहे पहाड़ों में अब हालात और खराब हो गए हैं।
धर्मशाला, मुनीष दीक्षित। रेगिस्तान से उड़ रही धूल ने अब पहाड़ों में भी सांस लेना मुश्किल कर दिया है। दो दिन से धूल की हल्की परत से घिर रहे पहाड़ों में अब हालात खराब होने लगे हैं। शुक्रवार को हिमाचल के अधिकांश भागों सहित समूचे जिला कांगड़ा ने धूल की परत ओढ़े रखी। जिला के पंजाब से लगते मैदानी इलाकों में हवा की गुणवत्ता का स्तर 100 से भी अधिक पहुंच गया है। प्रदेश की दूसरी राजधानी धर्मशाला में एयर क्वालिटी वीरवार से 50 के अच्छे स्तर से ऊपर निकलकर 52 पहुंच गई है। ऐसे में एक दो दिन में अगर हालात ऐसे ही रहे तो धूल के कारण यह स्तर 100 के करीब पहुंच सकता है। यहां की हवा में पीएम 10 की मात्रा भी अधिक हो गई है। ऐसे में इस मौसम में बच्चों व बुजुर्ग लोगों की सेहत का विशेष ध्यान रखना होगा। दरअसल राजस्थान से सटे पाकिस्तान बॉर्डर पर तेज रफ्तार से लू चल रही है, जिसके चलते राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा से लेकर अब हिमाचल तक धूल की परत जमा हो गई है। इसका कारण पश्चिमी विक्षोभ को माना जा रहा है।
धूल भरी आंधी का प्रभाव
-हवा में पीएम 10 की मात्रा बढ़ गई है। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
-ये मौसम बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है।
-बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता जिसके चलते दोनों ही धूल भरी हवा होने के कारण मौसमी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
-दमा के मरीजों के लिए ऐसे मौसम में बाहर निकलना जानलेवा है। दिल के मरीजों की दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं।
-धूल के कण आंखों में जाते ही उनमें जलन पैदा कर देते हैं।
बचाव का तरीका
-जहां तक मुमकिन हो घर से बाहर कम ही निकलें।
-प्रदूषित जगहों पर कम जाएं।
-घर से बाहर निकलते समय मास्क व चश्मे का प्रयोग करें। ताकि आपके मुहं से धूल के कण अंदर न जाएं और आंखे भी सुरक्षित रहें।
-मौसमी सब्जियों और फलों का सेवन करें। पानी की कमी शरीर में कमी न होने दें, जिससे बॉडी हाइड्रेटेड रहे।
क्या है पीएम 10 पीएम का अर्थ
यहां पार्टिकुलेट मैटर अर्थात अभिकणीय पदार्थ अर्थात हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित अतिसूक्ष्म कण जो ठोस या तरल अवस्था में हो सकते हैं। ये निलंबित अवस्था में हमारे वायुमंडल में उपस्थित होते हैं और इनका आकार अतिसूक्ष्म होने के कारण ये हमारे सांसों से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं। दुनियाभर के प्रदूषण नियंत्रण संस्थानों और वैज्ञानिकों ने इन सूक्ष्म कणों की मात्रा हमारे वायुमंडल में कितनी होनी चाहिए इसकी सीमा तय की है और उस सीमा के पार होने के बाद स्थिति खतरनाक हो जाती है और आपातकाल की स्थिति पैदा हो जाती है। इन कणों के आकार के आधार पर इन्हें कई वर्गों में विभाजित किया गया है जिनमे पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रमुख हैं। पीएम 10 का अर्थ है वे कण जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है और पीएम 2.5 अतिसूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है। इनमें पीएम 2.5 अधिक नुकसान पहुंचाता है।
क्वालिटी इंडेक्स
-50 के नीचे हो तो अच्छा
-51-100 के बीच संतोषजनक
-101 से 200 के बीच ठीक-ठाक
-201 से 300 के बीच खराब
-300 से 400 के बीच बहुत खराब
-400 से 500 के बीच काफी खराब मानी जाती है जिला कांगड़ा में यह स्तर अभी 51-100 के बीच पहुंचा है। जो संतोषजनक है, लेकिन इससे अगर अधिक होता है, तो यह कई रोगों का कारण बन सकता है।
वातावरण में काफी धूल के कण हैं। ऐसे में इस मौसम में बच्चों व बुजुर्गो का खास ध्यान रखने की जरूरत है। इससे फेफड़ों के रोग व एलर्जी बढ़ सकती है। इस दौरान घरों से कम निकलें। अगर गाड़ी के अंदर हैं, तो एयर का सकुर्लेशन भीतर का ही रखें। मास्क पहनें तथा आंखों का विशेष ध्यान रखें।
-डॉ. जसवीर भंडारी, ईएनटी विशेषज्ञ, राजीव गांधी स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल, पपरोला।
वीरवार को धर्मशाला में एयर क्वालिटी का स्तर 52 पहुंचा था, जो अच्छे से दो प्वाइंट अधिक था। शुक्रवार को काफी धूल थी, ऐसे में यह स्तर बढ़ सकता है। यहां के डमटाल में कुछ दिन पहले एयर क्वालिटी का स्तर सौ के करीब पहुंच गया था। अगर मौसम ऐसे रहता है, तो यह स्तर बढ़ सकता है। अभी यहां डरने की जरूरत नहीं है।
- डॉ. रमाकांत अवस्थी, वैज्ञानिक अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड धर्मशाला।
जिला में कुछ स्थानों का अधिकतम तापमान धर्मशाला,28 डिग्री सेल्सियस नूरपुर,37 डिग्री सेल्सियस डमटाल,39 डिग्री सेल्सियस देहरा,37 डिग्री सेल्सियस कांगड़ा,34 डिग्री सेल्सियस पालमपुर,28 डिग्री सेल्सियस बैजनाथ,29 डिग्री सेल्सियस बड़ाभंगाल,19 डिग्री सेल्सियस