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खनन नीति के विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम

नई खनन नीति के विरोध में जिला कांगड़ा क्रशर यूनियन व जिला कांगड़ा ट्रक टिप्पर वेलफेयर एसोसिएशन की संयुक्त रूप से चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत शुक्रवार को दोनों ही यूनियन के पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 06:16 AM (IST)
खनन नीति के विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम
खनन नीति के विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग जाम

संवाद सूत्र, शाहपुर : नई खनन नीति के विरोध में जिला कांगड़ा क्रशर यूनियन और जिला कांगड़ा ट्रक-टिप्पर वेलफेयर एसोसिएशन ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पठानकोट-मंडी पर द्रम्मण में यातायात जाम कर दिया। इनकी कुछ दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है। उनके जोरदार प्रदर्शन और लगाए जाम की वजह से हाईवे के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारे लग गई। इससे बसों सहित निजी वाहनों में सवार यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। साथ ही स्थानीय बाशिदों को भी दिक्कतें झेलनी पड़ी। इस दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने नई खनन नीति को जनविरोधी करार देकर कहा कि नियमों में संशोधन नहीं किया गया तो उनकी हड़ताल लगातार जारी रहेगी।

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वहीं यातायात जाम की सूचना मिलते ही एसडीएम शाहपुर जगन ठाकुर और डीएसपी बलदेव मौके पर पहुंचे। उन्होंने आश्वास्त किया कि उनकी मांगों को तुरंत उपायुक्त व प्रदेश सरकार को भेज दिया जाएगा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से हाईवे को खोलने का आग्रह किया। उसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने रास्ता बहाल किया। इस मौके पर क्रशर यूनियन के जिला प्रधान रणवीर सिंह निक्का और ट्रक-टिप्पर वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी अश्वनी शर्मा बिल्ला ने एलान किया कि वह सड़क तो खोल रहे हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।

खनन में जेसीबी के प्रयोग की है मांग

जिला कांगड़ा क्रशर यूनियन और जिला कांगड़ा ट्रक-टिप्पर वेलफेयर एसोसिएशन की मुख्यमंत्री व उद्योग मंत्री ने अधिकतर मांगों को पूरा कर दिया है, लेकिन खनन में जेसीबी का प्रयोग करने की मांग अब भी लंबित है। पंजाब में खनन के लिए जेसीबी के प्रयोग की अनुमति है, लेकिन हिमाचल में इस पर रोक लगा दी गई है। अनशन कर रहे पदाधिकारियों का कहना है कि जेसीबी के प्रयोग की अनुमति न मिलने कच्चा माल एकत्रित करना महंगा पड़ेगा। इससे आम उपभोक्ता हिमाचल की क्रशर यूनिट की बजाय पंजाब से माल उठाएगा।


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