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जाति आधार पर न हो भेदभाव : दलाईलामा

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा है कि भारत की वर्षो पु

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 05:10 AM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 05:10 AM (IST)
जाति आधार पर न हो भेदभाव : दलाईलामा
जाति आधार पर न हो भेदभाव : दलाईलामा

जागरण संवाददाता, धर्मशाला : तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा है कि भारत की वर्षो पुरानी परंपरा काबिलेतारीफ है लेकिन जाति आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसे तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत दुनिया की प्रमुख धार्मिक परंपराओं का घर है और यह वास्तव में अद्भुत है। तिब्बती धर्मगुरु ने कहा कि आंतरिक शाति आत्मविश्वास का आधार है इसलिए बच्चों को स्वयं केंद्रित दृष्टिकोण की बजाय स्कूलों में धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से आतरिक मूल्यों और नैतिक सिद्धातों के बारे में सिखाया जाना चाहिए। दलाईलामा सोमवार को मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर में विदेशी पर्यटकों को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने पर्यटकों को भारत की संस्कृति से भी अवगत करवाया। कहा कि आज हमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है और 21वीं सदी में भी 20वीं शताब्दी की गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। बकौल दलाईलामा, मनुष्य को जानवरों के विपरीत संवाद करने सहित सोचने समझने की शक्तिहै और ऐसे में हमें इन सबका उपयोग आपसी सद्भाव और शाति को बढ़ावा देने के लिए करना चाहिए। दलाईलामा ने कहा, अगर हम अपने बारे में सोचते हैं तो दुनिया बहुत अकेली हो जाएगी, इसलिए यह जरूरी है कि एक-दूसरे के बारे में भी सोचें। आधुनिक शिक्षा ने राष्ट्रीयता, विश्वास व आर्थिक परिस्थितियों से निपटनेपर ध्यान दिया है लेकिन इस सबमें यह जरूरी है कि मानवता व एकता को लेकर आपस में हम कैसा व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा किनालंदा का प्राचीन ज्ञान अब दुनिया से खो गया है। हालाकि तिब्बती अनुवादकों के प्रयासों के कारण यह ज्ञान अब तिब्बती भाषा में ही उपलब्ध है इसलिए तिब्बती भाषा का संरक्षण और अध्ययन महत्वपूर्ण है।


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