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डीजीपी मरड़ी बोले, अब ब्लैक स्पॉट की दुरुस्ती के लिए पत्र लिख सकेंगे एसएचओ

प्रदेश के बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लगाम लगाने के लिए पुलिस प्रशासन ने थाना प्रभारियों की शक्तियां बढ़ा दी है।

By Edited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:31 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 11:33 AM (IST)
डीजीपी मरड़ी बोले, अब ब्लैक स्पॉट की दुरुस्ती के लिए पत्र लिख सकेंगे एसएचओ
डीजीपी मरड़ी बोले, अब ब्लैक स्पॉट की दुरुस्ती के लिए पत्र लिख सकेंगे एसएचओ

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सीताराम मरडी ने कहा कि प्रदेश में सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए थाना प्रभारियों (एसएचओ) की शक्तियां बढ़ा दी हैं। अब सभी एसएचओ दुर्घटना प्रभावित क्षेत्र जिन्हें ब्लैक स्पॉट कहा जाता है को चिह्नित कर लोक निर्माण विभाग को सुधार के लिए पत्र लिख सकते हैं। धर्मशाला में वीरवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति ही ड्रग पेडलर बनते हैं। नशे की रोकथाम के लिए अब पंचायत के वार्ड स्तर पर नशा निवारण समितियों का गठन किया जाएगा।

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पहले पुलिस थानों में नशा निवारण समितियां बनी थी, उसके बाद पंचायत स्तर पर इनका गठन किया, अब वार्ड स्तर पर गठित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ते साइबर क्राइम मामलों जांच कैसी करनी है, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश क्या हैं। इसको लेकर 11 महत्वपूर्ण मामलों की जांच कर इन्वेस्टीगेशन मेन्यूल बनाया है। इसे हर पुलिस थाना में भेजा जा रहा है। इसे पढ़कर पता लगाया जा सकता है कि किस तरह से साइबर क्राइम के मामलों की जांच की जा सकती है।

बनगढ़ प्रकरण की नहीं जानकारी

ऊना की बनगढ़ बटालियन के महिला पुलिस कर्मी द्वारा बटालियन के ही जवान पर छेड़छाड़ मामले पर डीपीजी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। बटालियन कमांडेड ने इस संबंध में दो माह पूर्व आरोपित जवान को बर्खास्त करने की फाइल भेजी थी, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है।

ओवरऑल ऑल क्राइम में नहीं पड़ा ज्यादा फर्क

डीजीपी मरडी ने कहा कि प्रदेश में ओवरऑल क्राइम में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, जबकि उत्तरी रेंज में मौतों और दुर्घटनाओं में कमी आई है। 2018 में रेंज स्तर पर एसएचओ की बैठकें शुरू की गई थी, क्योंकि पुलिस का काम कमजोर था, लेकिन अब हर तीन माह में बैठकें करने से काम बेहतर हुआ है। बैठक में पुलिस कार्यो की समीक्षा करके यह संभावना तलाशी जाती हैं कि और बेहतर कैसे किया जा सकता है।


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