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Coronavirus: दलाईलामा बोले, कोरोना वायरस से बचने के लिए करें डोलमा मंत्र का जाप

Coronavirus. अब दलाईलामा ने चीनी अनुयायियों और चीनभर के बौद्ध मठों को सलाह दी है कि डोलमा मंत्र का जाप करें।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 07:30 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 07:30 PM (IST)
Coronavirus: दलाईलामा बोले, कोरोना वायरस से बचने के लिए करें डोलमा मंत्र का जाप
Coronavirus: दलाईलामा बोले, कोरोना वायरस से बचने के लिए करें डोलमा मंत्र का जाप

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Coronavirus. तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाईलामा ने चीन के वुहान शहर में फैले कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को डोलमा मंत्र के जाप की सलाह दी है। दलाईलामा से फेसबुक पर चीनी भक्तों के एक समूह ने कोरोना वायरस से बचने की सलाह देने का आग्रह किया था, ताकि चीन सहित अन्य देशों के लोग वायरस से बचें रहे।

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अब दलाईलामा ने चीनी अनुयायियों और चीनभर के बौद्ध मठों को सलाह दी है कि डोलमा मंत्र का जाप करें। तिब्बती धर्मगुरु के अनुसार, कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए यह मंत्र फायदेमंद होगा। दलाईलामा ने अपने स्वर की एक आवाज क्लिप साझा की है और उसमें डोलमा मंत्र का जाप किया गया है। 

पोटाला महल बंद करने पर निर्वासित तिब्बती सरकार ने जताई आपत्ति

कोरोना वायरस की आड़ में ल्हासा स्थित धर्मगुरु दलाईलामा के पोटाला महल को चीन की ओर से बंद करने पर निर्वासित तिब्बती सरकार ने आपत्ति जताई है। वायरस की आड़ में महल को बंद करना चीन सरकार की सोची समझी चाल है। निर्वासित सरकार के अनुसार, तिब्बतियों का नववर्ष यानी लोसर अब नजदीक है और इस त्योहार के मद्देनजर दर्शन के लिए लोग पोटाला महल में जाते हैं। चीन सरकार के फैसले से तिब्बती समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। निर्वासित सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर तिब्बतियों को एहतियात बरतने की सलाह दी है।

चीन सरकार हमेशा से ही हर मामले में तानाशाही करती आई है। चाहे वह तिब्बत की आजादी का मामला हो या फिर पंचेन लामा की गुमशुदगी का। विश्वभर में चीन सरकार ने कभी भी सच्चाई को उजागर नहीं किया है। अब कोरोना वायरस की आड़ में तिब्बत के ल्हासा में स्थित दलाईलामा के आधिकारिक निवास पोटाला महल में भी जाने पर प्रतिबंध लगाकर तिब्बती समुदाय के लोगों के साथ अन्याय किया है। चीन सरकार का यह निंदनीय कार्य है। निर्वासित सरकार इस फैसले का विरोध करती है।

-आयार्च यशी फुंचोक, उपसभापति निर्वासित तिब्बती संसद।

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