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प्रसन्नता ही महिला सफलता का मानक

जागरण संवाददाता कांगड़ा नारी सशक्तीकरण ने एक लंबा रास्ता तय किया है। खासतौर पर हिमाचल

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:28 PM (IST)
प्रसन्नता ही महिला सफलता का मानक
प्रसन्नता ही महिला सफलता का मानक

जागरण संवाददाता, कांगड़ा : नारी सशक्तीकरण ने एक लंबा रास्ता तय किया है। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश में भी अब परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदला है और इसका प्रभाव देखने में भी आ रहा है। महिलाओं के संदर्भ में सफलता क्या है, घर और नौकरी या व्यवसाय के मोर्चे पर भूमिकाओं के साथ न्याय कैसे होता है, क्या अब बात समानता से आगे निकल गई है? इन तमाम सवालों पर चर्चा हुई निफ्ट कांगड़ा में जहां दैनिक जागरण ने एक परिचर्चा का आयोजन किया। विषय था 'नारी सशक्तीकरण : उपलब्धियां और भविष्य।'

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चर्चा में प्रतिभागी रहीं आज से कई दशक पहले पालमपुर में बतौर स्त्रीरोग विशेषज्ञ कार्य शुरू करने वाली डॉ. विजय शर्मा, एक्सिस बैंक की वाइस प्रेजिडेंट रहीं और वर्तमान में स्कालर्स इंटरनेशनल की निदेशक शालिनी सैनी, रेनबो इंटरनेशनल चेन ऑफ स्कूल्स की निदेशक डॉ. मीनाक्षी कश्यप और मनोविज्ञानी एवं एकल महिलाओं के लिए अनुकरणीय कार्य करने वाली किश्वर अहमद शिराली। चर्चा का संचालन निफ्ट की छात्रा यामिनी ने किया।

डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि महिला प्रेरक हो सकती है। यही सोच कर मैंने अपने पति डॉ. शिव कुमार को समाजसेवा के लिए मुक्त कर दिया और स्वयं मरीजों को राहत देने का मोर्चा संभाला। उन्होंने अंतत: क्षेत्र को सर्वश्रेष्ठ आंखों का अस्पताल दिया। अंतत: संतोष ही मिला। संतोष और प्रसन्नता के विषय को आगे बढ़ाते हुए डॉ. मीनाक्षी कश्यप ने कहा कि महिला की सबसे बड़ी सफलता उसे मिलने वाली प्रसन्नता है। शालिनी सैनी ने इस सवाल को ही अन्यायपूर्ण बताया कि बैंकिंग या शिक्षा दोनों में कौन सा क्षेत्र महिलाओं के लिए बेहतर है। उनका कहना था कि आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो महिलाओं के लिए कमतर हो। वह कहीं भी अपना रास्ता ढूंढ़ लेती हैं। किश्वर अहमद शिराली ने कहा कि यह वरदान केवल महिलाओं को है कि वह शक्तिरूपेण संस्थिता भी हैं और मातृरूपेण संस्थिता भी हैं। यानी शक्ति या मातृत्व ने भी स्वयं को नारी के माध्यम से ही अभिव्यक्त किया।

कुछ प्रतिभागियों ने कहा कि नारी सशक्तीकरण हो चुका है और अब स्त्रीवाद का अनुचित प्रयोग किया जा रहा है। इससे किश्वर की सहमति नहीं थी। उनका कहना था कि आठ मार्च के इतिहास में जाकर सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं। उन्होंने देवियों और महाविद्याओं के संदर्भ देकर अपनी बात को और स्पष्ट करने का प्रयास किया। इस अवसर पर एकल नारियों के लिए कार्य करने वाली प्रतिभा ने भी संघर्षपूर्ण जीवन से प्रसन्नता का रास्ता निकालने की बात की। निफ्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. दिनेश रांगड़ा ने सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया। इससे पहले दैनिक जागरण के संपादक (हिमाचल) ने जागरण के नारी सशक्तीकरण सरोकार के बारे में जानकारी देते हुए सभी का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।


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