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साझेदारी व सेवा मनुष्य के अंतर्मन से जुड़ी भावनाएं

आधुनिक पब्लिक स्कूल सिद्धबाड़ी में दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत प्रार्थना सभा में विधार्थियों को साझेदारी ओर सेवा की कद्र पर जानकारी दी गई । प्रधानाचार्य अनिता वर्मा ने बताया कि साझेदारी तथा सेवा एक दूसरे के पूरक हैंओर यह केवल मनुष्य के अन्तर्मन से जुड़ी भावनाएं हैं । मनुष्य को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना गया है । क्योंकि उसके पास अधिक विकसित मस्तिक तथा सोचने की असीम क्षमता

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 06:33 AM (IST)
साझेदारी व सेवा मनुष्य के अंतर्मन से जुड़ी भावनाएं
साझेदारी व सेवा मनुष्य के अंतर्मन से जुड़ी भावनाएं

संवाद सहयोगी, योल : आधुनिक पब्लिक स्कूल सिद्धबाड़ी में दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत वीरवार को प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को साझेदारी और सेवा की कद्र विषय पर जानकारी दी गई। इस दौरान प्रधानाचार्य अनिता वर्मा ने बताया कि साझेदारी और सेवा एक-दूसरे के पूरक हैं और ये केवल मनुष्य के अंतर्मन से जुड़ी भावनाएं हैं। मनुष्य को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना गया है, क्योंकि उसके पास अधिक विकसित मस्तिष्क तथा सोचने की असीम क्षमता है। उसने साझेदारी, सेवा भाव तथा समर्थन के बल पर उन्नति हासिल की है। साझेदारी सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है और साथ ही साथ यह विनम्रता, सहनशीलता, यथा सदभाव को दर्शाती है। इस तरह किसी महान व्यक्ति ने सत्य ही कहा है कि हर प्राणी को सेवा एवं साझेदारी की कद्र करनी चाहिए। साझेदारी का अर्थ है जिसमें कोई व्यक्ति अन्य लोगों के सहयोग से एक अच्छे कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करता है तथा सेवाभाव से किसी के प्रति परोपकार करता है तो यही दृष्टिकोण हमारे जीवन में सेवा भाव का है। सामाजिक प्रगति में भी साझेदारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इससे लोगों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास की वृद्धि होती है तथा समाज में भाईचारा बढ़ता है। एकता में बल है का भाव परस्पर सहयोग तथा साझेदारी से ही फलीभूत होता है। आपसी सहयोग मनुष्य को आत्मबल देता है और इससे उसके आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। इससे हम कठिन कार्य भी आसानी से कर सकते हैं। साथ ही निस्वार्थ में की गई सेवा सफलता का मूलमंत्र है। सामाजिक बदलाव के लिए हमें आचरण को सेवा  से परिपूर्ण रखना चाहिए। सेवा भाव अपने हृदय में उत्पन्न करना हम सभी की जिम्मेदारी है। देश और समाज की भलाई के लिए हमें अपने भीतर सेवा परमोधर्मा सेवा परमोकर्मा  के लिए सतत प्रयास करने होंगे।

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 साझेदारी तथा सेवा ये दो शब्द हमने कई बार सुने हैं परंतु हममें से कितने हैं जो  इसका मूल अर्थ जान पाए हैं। सेवा किसी के प्रति परोपकार, साझेदारी जो दो या अधिक व्यक्तियों के बीच स्थापित हो। इसी तरह  किसी की सेवा करने या किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में किसी की  सहायता करने से हमारा ही दृष्टिकोण  विस्तृत होता है।

-तमेशा 

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साझेदारी वैसे तो व्यावसायिक संगठन का एक से अधिक व्यक्तियों का पारस्परिक संबंध होता है। परंतु साझेदारी का भाव किसी संगठन  तक  सीमित हो , यह  आवश्यक नहीं है। साझेदारी किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, भले ही वह सेवाभाव से हो। यह भाव ही एकमात्र यही मार्ग दर्शाता है।

-अन्वी  पुरी

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साझेदारी तथा सेवा के इन तथ्यों के आधार पर मैं यह बताना चाहूंगा कि सेवा करने वालों या साझेदारी में रहने वाले लोगों की सदैव कद्र करनी चाहिए। आज के युग में ऐसे अनमोल रत्न ढूंढने पर  भी नहीं मिलते हैं।

-अभय महाजन

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साझेदारी और सेवा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और इनके बिना किसी भी समाज का विकास नहीं हो सकता है। साझेदारी हंसते हुए करनी चाहिए। हमारे बीच निस्वार्थ सेवा भाव भी बहुत जरूरी है।

- कशवी   शर्मा


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