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जुगाड़ से बसें चला रहा रामपुर डिपो

हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के रामपुर डिपो में इन दिनों बसें जुगाड़ के माध्यम से चलाई जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Dec 2021 05:16 PM (IST)Updated: Fri, 10 Dec 2021 05:16 PM (IST)
जुगाड़ से बसें चला रहा रामपुर डिपो
जुगाड़ से बसें चला रहा रामपुर डिपो

अतुल कश्यप, रामपुर बुशहर

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हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के रामपुर डिपो में इन दिनों बसें जुगाड़ के माध्यम से चलाई जा रही हैं। इससे हर समय हादसे का खतरा बना रहता है। डिपो में 33 ऐसी बसें हैं जो अपनी माइलेज पूरी कर चुकी हैं। इसके बावजूद इन बसों को सड़कों पर चलाया जा रहा है। 33 बसें ऐसी हैं जो अपनी निर्धारित किलोमीटर चलने की क्षमता को पूरा कर चुकी हैं।

इस तरह से इन बसों को चलाने से लोगों की जिदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर 20 से 22 बसें इनमें ऐसी हैं जो कलपुर्जे समय पर न आने के कारण कार्यशाला में खड़ी हैं।

हिमाचल पथ परिवहन निगम का रामपुर डिपो कमाई करने में हमेशा से आगे रहा है। लेकिन इस डिपो की सरकार और निगम प्रबंधक की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस डिपो में 135 बसें हैं जिनमें से 22 बसें खड़ी हैं और 33 अपनी माइलेज पूरी कर चुकी हैं।

क्षेत्रीय प्रबंधक रामपुर डिपो प्रेम कश्यप ने बसों की माइलेज पूरी होने और खराब के खड़े होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जैसे ही कलपुर्जो की सप्लाई आ रही है बसों को तुरंत ठीक कर रूटों पर भेज जा रहा है। बसों के नहीं मिल रहे कलपुर्जे

कई माह से रामपुर डिपो में कलपुर्जो की काफी कमी चल रही है, जिस कारण बसें ठीक नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में रामपुर निगम प्रबंधन की ओर से एक बस से कलपुर्जे निकाल कर दूसरी बस में लगाकर काम निकाला जा रहा है। माइलेज पूरी कर चुकी बसें कभी दे सकती हैं हादसे को अंजाम

रामपुर परिवहन निगम डिपो में माइलेज पूरी कर चुकी बसों को सड़कों पर चलाना निगम को भारी पड़ सकता है। ऐसी बसों के सड़कों पर चलने से कभी भी बड़ा हादसा घट सकता है या बसों के रास्ते में ही किसी खराबी के कारण रुक जाने से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। बसों की कमी से हो रहे लोकल रूट प्रभावित

रामपुर डिपो में बसों की कमी के कारण स्थानीय रूट प्रभावित हो रहे हैं। इस पर स्थानीय लोगों ने प्रबंधन व सरकार से इस ओर ध्यान देने का आग्रह किया है। प्रबंधन कहता है कि समय पर बसों के पुर्जे नहीं आ रहे हैं और दूसरे बसें कहीं भी खराब हो जाती हैं, जिसका खामियाजा सवारियों को भुगतना पड़ता है। रूट प्रभावित होने से लोगों को अपने ग्रामीण इलाकों की ओर आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।


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