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पटरी पर जीवन; बसें दौड़ी, दफ्तर खुले

करीब सवा दो माह के बाद जिला कांगड़ा की जनता का जीवन पटरी पर लौटा है। कोरोना वायरस के चलते बंद परिवहन सेवा सोमवार को शुरु हुई।वहीं सरकारी व निजी कार्यालय भी पूरे कर्मचारियों के साथ खुले।परिवहन सेवा की बात की जाए तो जिला प्रशासन ने निगम व निजी दोनों बसों को बहाल किया है लेकिन सड़कों पर सिर्फ निगम की बसें ही दौड़ी निजी बसें नहीं। इसका ये रहा कि निजी बस चालक व परिचालक संघ के सदस्य अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 09:07 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:24 AM (IST)
पटरी पर जीवन; बसें दौड़ी, दफ्तर खुले
पटरी पर जीवन; बसें दौड़ी, दफ्तर खुले

करीब सवा दो माह बाद जिला कांगड़ा की जनता का जीवन पटरी पर लौटा है। कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद परिवहन सेवा सोमवार को शुरू हो गई। साथ ही सरकारी कार्यालय भी सौ फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ खुले। परिवहन सेवा की बात की जाए तो जिला प्रशासन ने निगम व निजी दोनों बसों को बहाल किया है, लेकिन ज्यादातर निगम की बसें ही दौड़ी, जबकि निजी नाममात्र की ही चलीं। इसका कारण मांगों के समर्थन में निजी बस चालक-परिचालक धरने पर बैठे हैं। कार्यालयों में कर्मचारियों ने मास्क व फेश शील्ड पहनकर काम किया।

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ज्यादातर सरकारी बसें ही चली, कम रहे यात्री

निगम की 307 रूटों पर चली गाड़ियां, प्राइवेट का आंकड़ा रहा 11 फीसद

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : सवा दो माह बाद सोमवार को बस सेवा शुरू हो गई। पहले दिन कम ही लोग सफर पर निकले। हर रूट पर 10 से 12 ही यात्री सफर करते नजर आए। एचआरटीसी ने जिलेभर में 307 रूटों पर बस सेवा मुहैया करवाई। इसके विपरीत प्राइवेट बसें मात्र 11 फीसद ही चलीं। सबसे ज्यादा बस सेवा पालमपुर डिपो के तहत 72 रूटों में निगम की ओर से दी गई जबकि सबसे कम देहरा व पठानकोट डिपो की 35-35 रूटों पर ही बसें चलाई गईं। गगल-नगरोटा सूरियां रूट का आलम यह रहा कि गगल से नगरोटा सूरियां जाने वाली बस की शुरुआत केवल एक यात्री से हुई और उसने भी तियारा तक ही सफर किया। 11 फीसद निजी बसों के चलने का मुख्य कारण दो यूनियनों का होना रहा है। एक यूनियन बसें चलाने के लिए तैयार थी जबकि दूसरी ने साफ इन्कार किया था।

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किस डिपो से कितनी बसें चली

एचआरटीसी के धर्मशाला मंडल के तहत बैजनाथ से 57, चंबा से 58, पठानकोट से 35, पालमपुर से 72, नगरोटा बगवां से 51, धर्मशाला से 57 व जोगेंद्रनगर से 48 रूटों पर बस सेवाएं निगम की ओर से प्रदान की गई। देहरा डिपो से करीब 35 रूटों पर बसें चलीं।

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जिलेभर में करीब 100 निजी बसें चलाई गई। यात्रियों की संख्या बहुत कम रही है। जिले में करीब 900 निजी बसें हैं।

-हैप्पी अवस्थी, अध्यक्ष जिला कांगड़ा प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन।

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विभाग की ओर से सुरक्षा इंतजामों को लेकर जो सामग्री उपलब्ध करवाई गई है, उसे लेकर तैयारियां कर ली हैं। अभी तक एक सप्ताह बसों को नहीं चलाएंगे।

-रविदत्त शर्मा, जिला कांगड़ा निजी बस ऑपरेटर वेलफेयर सोसायटी।

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धर्मशाला डिपो से 57 रूटों पर बसों को चलाया गया है। कम ही लोगों ने सफर किया है। कोई भी रूट फेल नहीं होने दिया। धर्मशाला-शिमला बस में भी कांगड़ा से करीब 10 से 12 ही यात्री बैठे।

-पंकज चड्ढा, क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी धर्मशाला डिपो।

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मंडल के तहत सात डिपुओं के तहत 378 रूटों पर बसें चलाई हैं। सभी रूटों पर बसें चलें, इसके लिए सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों को निर्देश दिए थे।

-राज कुमार जरयाल, मंडलीय प्रबंधक एचआरटीसी धर्मशाला।

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क्या कहते हैं यात्री

बस सेवा शुरू होने के कारण मैं ड्यूटी के लिए शाहपुर तहसील कार्यालय जा रहा हूं। काफी दिनों बाद यह सुविधा मिली है।

-तनुज अवस्थी मैं निजी कार्य से जवाली जा रहा हूं। बस सेवा के अभाव में आने-जाने में दिक्कत थी। अब राहत मिली है।

-प्रेम कुमार पेंशन प्राप्त करने के लिए फॉर्म जमा करवाने के लिए बस सेवा का लाभ उठाकर धर्मशाला पहुंची हूं। अच्छा लग रहा है।

-जुद्या देवी बस सेवा शुरू होने से काफी राहत महसूस कर रहा हूं। इससे मध्यम वर्ग के लोगों को काफी राहत मिली है।

-किशोर

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बिना मास्क बसों में नहीं बैठने दिए यात्री

जागरण टीम, जवाली/सपड़ी/बिलासपुर/गगल : जवाली में बिना मास्क यात्रियों को बसों में नहीं बैठने दिया गया। उधर, ज्वालामुखी शहर में सुबह 9 बजे तक पांच ही बसें गुजरी और इनमें तीन निगम व दो प्राइवेट थीं। बसों में यात्री बहुत कम थे। ज्वालामुखी बस अड्डा प्रभारी पवन कुमार ने बताया कि नियमों का पालन किया जा रहा है। उधर, देहरा-जवाली मार्ग पर हरिपुर के हनुमान मंदिर के तीखे मोड़ पर ट्रक गहरी खाई में गिरने से बच गया, लेकिन चार घंटों के लिए यातायात अवरुद्ध हो गया। इस कारण निगम व निजी बसों के रूट फेल हो गए। वहीं, गगल-नगरोटा सूरियां सड़क रूट पर गगल से एक यात्री के साथ निजी बस चली।


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