वाहनों के बोझ से बढ़ रहा वायु प्रदूषण
मुनीष गारिया धर्मशाला कांगड़ा जिले में हर साल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हालांकि
मुनीष गारिया, धर्मशाला
कांगड़ा जिले में हर साल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। हालांकि देश के महानगरों में उद्योगों से निकलता धुआं और पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा में पराली जलाना भी इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है, लेकिन कांगड़ा जिले में वायू प्रदूषण वाहनों की बढ़ती संख्या से बढ़ा है।
जिले में पराली नहीं जलाई जाती है, लेकिन पंजाब में ऐसा किया जाता है। अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ेगा। कांगड़ा जिले में एक लाख तीन हजार हेक्टेयर भूमि में खेती होती है। करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की फसल उगाई जाती है। किसान पराली को पशुओं के लिए चारे के रूप में इस्तेमाल करते हैं, इसलिए यहां पराली प्रदूषण का कोई आधार नहीं है। जिले में प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है। इस समय छोटे-बड़े पांच लाख से अधिक वाहन हैं। इनमें से करीब तीन लाख से अधिक दोपहिया है। इन वाहनों से निकलने वाला धुआ ही वायु प्रदूषण फैला रहा है। मार्च में कोरोना की वजह से लगे लाकडाउन से प्रदूषण में तीन गुणा कमी आई थी। उससे पहले अनुमानित दैनिक प्रदूषण की दर 30 से 35 यूजी एम3 रहती थी, लेकिन लाकडाउन में यह 13 से 15 यूजी एम3 तक पहुंच गई थी। अब सब कुछ खुलने के बाद यह 60 से ऊपर हो गई है। वायु प्रदूषण का स्तर हर साल बढ़ रहा है। हालांकि यह अभी संतोषजनक स्थिति में है, लेकिन अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो छह से सात साल में परिस्थितियां गंभीर हो जाएंगी।
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वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय
-निजी की बजाय सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें। सड़क पर जितनी कम गाड़ियां रहेंगी उतना ही प्रदूषण भी कम होगा। बच्चों को निजी वाहनों में स्कूल छोड़ने की बजाय उन्हें स्कूल बस में जाने के लिए प्रोत्साहित करें।
-आप साइकिल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साइकिल से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है और आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। -बिजली उत्पन्न करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है और इससे निकलने वाला धुआं वातावरण के लिए खतरनाक होता है। इस तरह के प्रदूषण से बचने के लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे पैसे भी बचेंगे और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा।
-अगर आप निजी वाहनों का उपयोग करते हैं तो आपको कार पूलिग करनी चाहिए। कार पूलिग में आप एक ही कार में अन्य लोगों को भी बैठाकर ले जा सकते हैं।
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इन पौधों से बढ़ती है आक्सीजन
-मनी प्लांट एक ऐसी बेल है जो वायु में मौजूद कार्बन डाइआक्साइड को ग्रहण कर आक्सीजन बाहर निकालती है। -एलोवेरा में औषधीय गुण होते हैं। इस पौधे को उगने के लिए पानी की जरूरत भी कम होती है। यह हवा को शुद्ध रखता है।
-स्नेक प्लांट को हिदी में नाग पौधा कहा जाता है। इस पौधे को बढ़ने के लिए बहुत कम धूप की जरूरत होती है। इससे भी पर्यावरण स्वच्छ होता है।
-पाइन प्लांट भी घर की हवा शुद्ध बनाने में सहायक होता है। इसे बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है।
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यह बात सही है कि वायु प्रदूषण बढ़ा है, लेकिन अभी तक संतोषजनक स्तर पर है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा। छोटे-छोटे बदलावों से ही वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।
-अरुण गुप्ता, सहायक पर्यावरण अभियंता धर्मशाला।
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मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक बूटा बेटी के नाम अभियान शुरू किया है। पौधारोपण होगा तो पर्यावरण संरक्षण होगा और वायु प्रदूषण खुद ब खुद कम हो जाएगा।
-विशाल नैहरिया, विधायक धर्मशाला