Move to Jagran APP

श्रीविधि से करें धान की पनीरी की रोपाई

- पशुओं में खुरमुंही रोग का टीका लगवा लें - मुर्गियों की करें विशेष देखभाल संवाद सहयोगी पालमपुर प्रसार शिक्षा निदेशालय चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने जून माह के पहले पखवाड़े में किसानों को मौसम पूर्वानुमान संबंधित कृषि एवं पशुपालन कार्यों की उपयोगी सलाह दी है। वैज्ञानिकों ने धान बीज को बैविस्टिन ढाई ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचार करने की पैरवी की है। वहीं जिन क्षेत्रों में पनीरी की बिजाई नहीं की है वहां जून के पहले सप्ताह तक पनीरी की बिजाई की जा सकती है। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए यह करें प्रयोग खरपतवारों के नियंत्रण के लिए ऑक्साडाईजोन रोनस्टार या ब्यूटाक्लोर मैचटी 3 लीटर दवाई को

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 08:08 PM (IST)
श्रीविधि से करें धान की पनीरी की रोपाई
श्रीविधि से करें धान की पनीरी की रोपाई

संवाद सहयोगी, पालमपुर : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय ने सलाह दी है कि किसान धान की पनीरी की रोपाई श्रीविधि से करें। यह रोपाई की नई विधि है। इसके तहत 15-18 दिन की पनीरी की रोपाई की जाती है। एक स्थान पर सिर्फ एक ही पौधा लगाया जाता है। कतार से कतार व पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर तक रखी जाती है। रोपाई जून के दूसरे पखवाड़े में की जानी चाहिए। इसके अलावा बीमारी फैलने से पहले पशुओं को खुर-मुंही रोग से बचाव का टीका लगवाएं। भेड़ों में प्रजनन काल शुरू होने वाला है, इसलिए उन्हें बढि़या खुराक दें।

loksabha election banner

.......................

कतारों में करें मक्की की बिजाई

मक्की की अच्छी फसल के लिए बिजाई कतार से कतार 60 सेंमी व पौधे से पौधे में 20 सेंमी का अंतर रखना चाहिए। एक हेक्टेयर बिजाई के लिए 20 किग्रा बीज पर्याप्त है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बिजाई के 48 घंटों के अंदर एट्राजिन टैफाजीनया एट्राटाफ या मासटाफ 50 डब्ल्यूपी 1.75 से 2.75 किग्रा 800 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

................

अदरक, हल्दी व कचालू की बिजाई के लिए उपयुक्त समय

प्रदेश के निचले एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों में अदरक, हल्दी, कचालू, अरबी तथा जिमीकंद की बिजाई के लिए उचित समय है। बिजाई के लिए अदरक की उन्नत किस्म 'हिमगिरी' व 'सोलन गिरी गंगा' लगाएं। हल्दी की पालम पीताम्बर तथा पालम ललिमा तथा कचालू व अरबी की स्थानीय किस्में लगाएं।

..................

भिडी की सुधरी प्रजातियां लगाएं

मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में भिडी की सुधरी प्रजातियों पालम कोमल, पी. 8, अर्का अनामिका, परवनी व्रफान्ति, संकर कलश कोमल, इंद्रनील व पंचाली की प्रजातियों की बिजाई करें। ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में सब्जियों की गुड़ाई करें।

.......................

फसलों को बीमारियों व कीटों से बचाएं

मक्की की फसल में कटुआ कीट व सफेद सुंडी के नियंत्रण के लिए गली व सड़ी गोबर की खाद का उपयोग करें। कीटों की अधिक समस्या पर बीज की दर थोड़ी बढ़ाकर रखें। कीटों के नियंत्रण के लिए 2 लीटर क्लोरोपाइरपफॉस 20 ईसी नामक दवा को 25 किलोग्राम रेत में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बिजाई करने से पहले खेत में मिलाएं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.