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अब कैसे लेंगे आचार का स्वाद, लुप्त हो रहा गलगल

-बीमारियों से लड़ने की ताकत के साथ विटामिन सी का खजाना है गलगल

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 06:21 PM (IST)
अब कैसे लेंगे आचार का स्वाद, लुप्त हो रहा गलगल
अब कैसे लेंगे आचार का स्वाद, लुप्त हो रहा गलगल

-बीमारियों से लड़ने की ताकत के साथ विटामिन सी का खजाना है गलगल

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-नूरपुर में लुप्त होने की कगार पर पहुंचा नींबू प्रजाति का गलगल फल अश्वनी शर्मा, जूसर

गलगल के फल और उसके आचार का जायका लेने के लिए अब लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है, क्योंकि उपमंडल नूरपुर में इसकी पैदावार बहुत कम हो गई है, जबकि सबसे अधिक मात्रा में इस फल की पैदावार यहीं होती है। उपमंडल नूरपुर में नींबू प्रजाति का फल गलगल लुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। हालत यह कि अब लोगों को आचार डालने के लिए गलगल के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं जोकि ¨चता का बिषय है। करीब डेढ़ दशक पहले उपमंडल नूरपुर के अनेक क्षेत्रों में गलगल की बागवानी होती थी प्रत्येक बागवान के नींबू प्रजाति के बगीचे में गलगल के पौधे होते थे और एक पौधे से चार से पांच सौ किलो गलगल की पैदावार होती थी। स्वाद में पूरी तरह खटास समेटे यह फल सबसे ज्यादा आचार के काम ही आता है और इसके एक फल का वजन आधा किलो तक होता है। नींबू प्रजाति का यह फल अपने आप में अनेक गुणों को भी समेटे हुए है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह बीमारियों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है आयरन की कमी को दूर करता है हाजमे को दुरुस्त और गैस आदि बीमारियों को भी दूर करने में रामबाण फल है। क्या कहते हैं बागवान :

आज से डेढ़ दशक पहले नूरपुर क्षेत्र में नींबू प्रजाति के फलों और गलगल की काफी मात्रा में पैदावार होती थी, लेकिन धीरे धीरे नींबू प्रजाति का अस्तित्व खतरे में आ गया है, इसका प्रमुख कारण अच्छी किस्म के पौधे न मिलना और विभाग के विशेषज्ञों का फील्ड में जाकर सही जानकारी न देना भी रहा है।

-रशपाल पठानिया, बागवान एवं पूर्व निदेशक एचपीएमसी। -गंगथ और इंदौरा क्षेत्र में गलगल की भरपूर पैदावार होती थी। नींबू प्रजाति की उचित देखभाल की जानकारी न मिलना और मार्केटिंग सही न होने के कारण गलगल की बागवानी दम तोड़ती हुई दिख रही है, जिससे अब इसका स्वाद लेने के लिए बाहरी राज्यों पर आश्रित होना पड़ रहा है।

-आरके शर्मा। -परिवार बढ़ते गए और उनकी जमीन का दायरा सिमटता गया। यह भी कारण है, लेकिन उपमंडल नूरपुर और इंदौरा कभी नींबू प्रजाति के लिए छोटा नागपुर के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब परिस्थितियां विपरीत होती जा रही हैं।

-नरेंद्र शर्मा, जसूर। -डेढ़ दशक पूर्व नूरपुर क्षेत्र देसी संतरे और गलगल की खेती में अव्वल था, लेकिन नींबू प्रजाति के इस तरह पांव उखड़ना कहीं न कहीं कोई कमी तो आ गई है। क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई साधन भी न होना भी बागवानी की राह में रोड़ा बन गए हैं।

-सरदार ¨सह पठानिया, कंडवाल। गलगल एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल है अपने में अनेक गुणों को लिए हुए है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा मौजूद है, इस फल के सेवन से शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। आचार बनाने पर इसमें नामक की मात्रा बिलकुल हल्की रखनी चाहिए ज्यादा नामक से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।

डॉ. अशोक चंद्र, आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी, नूरपुर। बयान

-कुछ समय से उपमंडल नूरपुर में नींबू प्रजाति के फलों की पैदावार में कमी आई है, इस पर काम किया जा रहा है।

दौलत राम वर्मा, उपनिदेशक, बागवानी विभाग, कांगड़ा।


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