धवाला ने दिलाई 68 सदस्यों को शपथ
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला : 13वीं विधानसभा के पहले दिन शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 68 सदस्यों
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला : 13वीं विधानसभा के पहले दिन शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 68 सदस्यों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। प्रोटेम अध्यक्ष रमेश धवाला ने शपथ दिलाई। नए मुख्यमंत्री के साथ-साथ सत्ता व विपक्ष में नए सदस्यों के आने से पुरानी पीढ़ी की सियासत खत्म हो गई। अब प्रदेश नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ता हुआ नजर आएगा। इसके लिए सरकार ने अफसरशाही को भी चुस्त करने का काम शुरू कर दिया है। नए दौर में सबको नतीजों के साथ आगे आना पड़ेगा। प्रदेश विधानसभा में ऐसा पहली बार देखने को मिला कि वीरभद्र सिंह ने सबसे बुजुर्ग सदस्य के तौर पर शपथ ली तो उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने सबसे युवा सदस्य के तौर पर सदन में अपना नाम दर्ज किया। शपथ ग्रहण के दौरान सबसे पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने, उसके बाद मंत्रिमंडल के सदस्यों, उसके बाद नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और सदन के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह ने शपथ ग्रहण की। जैसे ही शपथ लेने के लिए राजेंद्र राणा का नाम लिया गया तो कांग्रेस सदस्यों का जोश देखने काबिल था। वीरभद्र सिंह हंसते हुए नजर आए तो मुख्यमंत्री भी उन्हें देखते रहे। इसी तरह से ऐसे कई लम्हे देखने को मिले जब सदस्यों ने शपथ ली।
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इन्होंने किया चरण स्पर्श
सदन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पांव छूने वाले सदस्यों की कमी नहीं थी। भाजपा विधायक विनोद कुमार, हीरा लाल, मुल्खराज प्रेमी सहित कई दूसरे विधायकों ने पांव छुए।
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धवाला ने वीरभद्र सिंह से लिया आशीर्वाद
प्रोटेम स्पीकर रमेश धवाला ने वीरभद्र सिंह के शपथ ग्रहण के बाद सदन की सर्वोच्च कुर्सी से ही उनके पैरों को हाथ लगाया। उन्होंने भी धवाला को आशीर्वाद दिया।
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कटवाल उठे तो अफसरों में खुशी
जैसे ही जेआर कटवाल का नाम शपथ लेने के लिए घोषित हुआ तो अधिकारी दीर्घा में बैठे अफसरों ने हाथ उठाकर कटवाल का अभिवादन किया। कटवाल भी हाथ जोड़कर आगे बढ़ते नजर आए थे। धवाला ने भी कहा कि आप वहां से यहां पहुंचे हैं।
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सॉरी-सॉरी..
शपथ के लिए नाम घोषित कर रहे विधानसभा सचिव एसएस वर्मा ने गलती से कर्नल धनीराम शांडिल का नाम पुकार दिया। शांडिल शपथ लेने के लिए चल भी दिए लेकिन सचिव ने सॉरी कहा और गलती सुधारते हुए परमजीत सिंह का नाम लिया।
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सहारे की जरूरत
शपथ लेने के लिए सदन में एक सहायक वीरभद्र सिंह की मदद करता नजर आया लेकिन वीरभद्र सिंह स्वयं चलकर जाना चाहते थे। देखने में आया कि उनके इन्कार करने के बावजूद सहायक चलता रहा। लौटते हुए मुकेश साथ थे। इलाज करवाने के बाद स्वस्थ हुए सुजान सिंह पठानिया भी सहारे के साथ आगे बढ़े।