एक हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो संभल जाएं
फोटो सहित- संवाद सहयोगी चंबा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चंबा की ओर से अस्पताल सभागार में शनिवार को टीबी रोग उन्मूलन अभियान के तहत न्यू एक्टिव केस फाइंडिग के तहत समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा डॉ. राजेश गुलेरी ने की। जबकि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के
संवाद सहयोगी, चंबा : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चंबा की ओर से अस्पताल सभागार में शनिवार को टीबी रोग उन्मूलन अभियान के तहत न्यू एक्टिव केस फाइंडिग के तहत समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा डॉ. राजेश गुलेरी ने की, जबकि, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सतीश पुंडीर विशेष रूप से मौजूद रहे। इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी ने कहा कि भारत में हर वर्ष क्षय रोग से करीब 27 लाख से अधिक ग्रस्त होते हैं। इसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल हैं। देश के प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक इस रोग को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2021 तक इसे खत्म करने की बात कही गई है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए गए टीबी उन्मूलन अभियान के तहत 108 नए मरीजों को चिन्हित किया गया है। उन्होंने कहा कि टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो हवा के जरिये एक इंसान से दूसरे में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। सबसे कॉमन फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी का बैक्टीरिया हवा के जरिये फैलता है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। टीबी का बैक्टीरिया शरीर के जिस भी हिस्से में होता है, उसके टिश्यू को पूरी तरह नष्ट कर देता है और इससे उस अंग का काम प्रभावित होता है। एक सप्ताह से ज्यादा लगातार खांसी, खांसी के साथ बलगम आ रहा हो, भूख कम लगना, लगातार वजन कम होना, शाम या रात के वक्त बुखार आना, सर्दी में भी पसीना आना इस बीमारी के लक्षण हैं। आज के समय में टीबी का इलाज संभव है तथा हर अस्पताल में टीबी का इलाज किया जाता है। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गुरमीत कटोच, जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हरिकत पुरी, जिला के समस्त खंड चिकित्सा अधिकारियों के साथ वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों तथा विशिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए अपने विचार रखे।