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श्रीकृष्ण गिरी पब्लिक स्कूल संवार रहा बच्चों का भविष्य

फोटो सहित- मनोज ठाकुर भरमौर श्री जयकृष्ण गिरी पब्लिक स्कूल भरमौर में बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है। स्कूल में बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। बच्चों को यहां पर न केवल शिक्षा प्रदान की जाती है बल्कि उन्हें इस काबिल बनाया जाता

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 06:38 AM (IST)
श्रीकृष्ण गिरी पब्लिक स्कूल संवार रहा बच्चों का भविष्य
श्रीकृष्ण गिरी पब्लिक स्कूल संवार रहा बच्चों का भविष्य

मनोज ठाकुर, भरमौर

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श्री जयकृष्ण गिरी पब्लिक स्कूल भरमौर बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए कार्य कर रहा है। बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए सभी सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं। बच्चों को यहां पर न केवल शिक्षा प्रदान की जाती है, बल्कि उन्हें इस काबिल बनाया जाता है कि भविष्य में उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। यह बात प्रधानाचार्य राजीव शर्मा ने कही। पेश हैं बातचीत के कुछ मुख्य अंश..

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शिक्षकों की भर्ती के क्या नियम हैं?

शिक्षा बोर्ड की ओर से निर्धारित नियमों को पूरे करने वाले शिक्षकों की ही भर्ती की जाती है। शैक्षणिक योग्यता के साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि शिक्षक का बच्चों को पढ़ाने का तरीका क्या है। स्कूल में 16 अध्यापक तथा चार अन्य कर्मचारियों का स्टाफ है।

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ऐसी क्या खास बात है कि अभिभावक बच्चों को आपके स्कूल में दाखिल करवाएं?

स्कूल में बच्चों को महज किताबी ज्ञान ही नहीं मुहैया करवाया जाता है, बल्कि उन्हें इस तरह से तैयार किया जाता है कि भविष्य में आने वाली परेशानियों से न घबराते हुए लक्ष्य को हासिल कर सकें।

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पढ़ाई तो सभी स्कूलों में अलग होती है लेकिन आपका स्कूल अन्य से कैसे अलग है?

स्कूल में बच्चों के अंदर का डर तथा झिझक दूर करने के लिए कार्य किया जाता है। बच्चों में स्टेज का डर दूर करने के लिए भाषण देने का मौका दिया जाता है तथा प्रेरित किया जाता है। बच्चों के ज्ञानवर्धन को शिक्षा के अलावा अन्य गतिविधियां भी करवाई जाती हैं।

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स्कूल में सुरक्षा के क्या प्रबंध हैं?

स्कूल में महत्वपूर्ण स्थानों पर छह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मुख्य गेट को समय पर बंद कर दिया जाता है, जो छुट्टी होने पर ही खुलता है। सुरक्षा के लिहाज से गार्ड भी तैनात किए गए हैं। अग्निकांड से बचने के लिए अग्निशमन यंत्र भी स्थापित किए गए हैं।

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खेल की क्या स्थिति है?

स्कूल के बच्चों के बीच खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। उन्हें खेल के नियमों सहित अन्य गुर सिखाए जाते हैं। यही नहीं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बच्चों को आगे आने का पूरा मौका दिया जाता है। इसमें अध्यापक भी उनकी सहायता करते हैं।

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स्कूल की अब तक की क्या उपलब्धियां रही हैं?

दसवीं कक्षा में 2017 में छात्र अंशुल ने भरमौर ब्लॉक में टॉप किया था। अंशुल ने मैथ में शत-प्रतिशत अंक हासिल किए थे। 2018 में दसवीं कक्षा की श्रेया ठाकुर ने ब्लॉक में पहला स्थान हासिल किया है। लगातार दो साल से स्कूल के बच्चे ब्लॉक में प्रथम आ रहे हैं। इसके साथ ही मेरिट लिस्ट में भी स्कूल के बच्चे अपना स्थान प्राप्त करते हैं।

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स्कूल का इतिहास

स्कूल की स्थापना 1986 में की गई थी। इसकी शुरुआत पांच बच्चों से की गई थी। आज बच्चों की संख्या 394 हो गई है। स्कूल की स्थापना करने वाली महिला सावित्री गुलेरिया निरक्षर हैं। भरमौर क्षेत्र में निरक्षरता को दूर करने के उद्देश्य से स्कूल की स्थापना की गई थी। स्कूल में बच्चों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।


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