परमात्मा को जानने के लिए तपस्या जरूरी नहीं
निरंकारी मिशन की डलहौजी शाखा द्वारा सत्संग वन बनीखेत में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर महात्मा अशोक चौहड़िया ने संगत को प्रवचनों की अमृत वषर से निहाल किया। महात्मा अशोक चौहड़िया ने कहा कि निरंकारी मिशन सच का संदेश देश-विदेश और गांव-गांव में पहुंचा रहा है। सच परमात्मा है और यह हमारे अंग-संग विराजमान है। जिसकी अनुभूति निरंकारी मिशन करवा रहा है। महात्मा ने कहा कि परमात्मा का बोध सतगुरू की कृपा से संभव है जिससे ब्रह्मज्ञान कहा गया है। उन्होंने कहा कि जब हमें परमात्मा का
संवाद सहयोगी, डलहौजी : निरंकारी मिशन की डलहौजी शाखा ने बनीखेत में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया। महात्मा अशोक चौहड़िया ने कहा कि निरंकारी मिशन सच का संदेश देश-विदेश और गांव-गांव में पहुंचा रहा है। सच परमात्मा है और यह हमारे अंग-संग विराजमान हैं। इसकी अनुभूति निरंकारी मिशन करवा रहा है। महात्मा ने कहा कि परमात्मा का बोध सतगुरु की कृपा से संभव है जिससे ब्रह्मज्ञान कहा गया है। जब हमें परमात्मा का दीदार हो जाता है उसके बाद कोई भ्रम नहीं रह जाता है। ब्रह्मज्ञानी वही कहलाया जाता है जो परमात्मा को अंग-संग महसूस करते हुए सदमार्ग पर चलता है। नफरत निदा से परे हो जाता है और दूसरे के सुख में अपनी खुशियां मनाता है। परमात्मा को जाना जा सकता है जिसके लिए किसी तपस्या या भक्ति की जरूरत नहीं। जिज्ञासू पल भर में पूर्ण सदगुरु से पल भर में कण-कण में व्याप्त इस निराकार सत्ता की अनुभूति कर सकता है। निरंकारी मिशन के उपदेशों का अनुसरण ही मिशन की शिक्षा है। हमारा व्यवहार सौहार्दपूर्ण और मेल-मिलाप वाला होना चाहिए। व्यवहार से निरंकारी होना चाहिए न कि हम बोल कर बताएं कि हम निरंकारी हैं। इस मौके पर संयोजक महात्मा एचएस गुलेरिया, शिक्षक महात्मा दीप जसवाल, सुजाता, रीता देवी व कर्ण आदि ने भजन व प्रवचनों से से निरंकार प्रभु का गुणगान किया।
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