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सेब के कैसे मिलें अच्छे दाम, सड़क का नहीं इंतजाम

संवाद सहयोगी चंबा जिला चंबा में हर वर्ष करीब 22 हजार टन सेब का उत्पादन किया जाता है लेि

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 06:25 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 06:14 AM (IST)
सेब के कैसे मिलें अच्छे दाम, सड़क का नहीं इंतजाम
सेब के कैसे मिलें अच्छे दाम, सड़क का नहीं इंतजाम

संवाद सहयोगी, चंबा : जिला चंबा में हर वर्ष करीब 22 हजार टन सेब का उत्पादन किया जाता है, लेकिन यहां की विभिन्न पंचायतों के कई गांव सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं। सड़क के अभाव में बागवानों को सेब की फसल को मंडी तक पहुंचाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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जिला में हर वर्ष सेब की करीब पांच करोड़ की फसल पर यातायात की सुविधा न होने के कारण सड़ने का खतरा मंडराता रहता है। जिला के छह विकास खंडों भरमौर, तीसा, मैहला, पांगी, चंबा और सलूणी में यही स्थिति रहती है।

जिला चंबा में करीब 12526 हेक्टेयर भूमि पर सेब उगाकर पड़ोसी राज्य पंजाब की मंडियों तक पहुंचता है। अधिकतर बागवानों की आर्थिकी सेब की फसल पर ही निर्भर करती है। विभाग की ओर से बागवानों को सेब उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन यातायात की व्यवस्था न होने के कारण बागवान इससे मुंह मोड़ने लगे हैं। खुद विभाग भी मानता है कि जिला के कई हिस्सों में सेब की पेटियों को मुख्य मार्ग तक पहुंचाने में ही बागवानों के हजारों रुपये खर्च हो जाते हैं।

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इन क्षेत्रों से मंडियों में सेब पहुंचाना नहीं आसान

जिला चंबा के होली क्षेत्र के चलेड़, क्यूहर, अंदरला, कलाह, गुआड, खनाहर, धारड़, ग्रोंडा तथा क्वांरसी गांव सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। क्वांरसी ऐसा गांव है, जहां पर घोड़े व खच्चर भी नहीं पहुंच पाते हैं। यहां पर बागवानों को सेब की ढुलाई स्वयं करनी पड़ती है। इन गांव की मुख्य सड़क से दूरी करीब पांच से 12 किलोमीटर है। वहीं, भरमौर क्षेत्र की ग्राम पंचायत खणी का अर्की गांव, सियूंर का अगासन, जरेड़, ग्राम पंचायत सांह का सुआ, मैहना, प्रंघाला पंचायत का खुंड, अगासन की सड़क से दूरी करीब दो से पांच किलोमीटर है। इसी तरह सलूणी, भांदल, किहार, डांड, डियूर तथा किलोड़ पंचायतों के गांव व चुराह उपमंडल के भी कई गांव सड़क से नहीं जुड़ सके हैं।

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बागवानों को हर वर्ष सेब की फसल को मंडियों तक पहुंचाने से पहले कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां के बागवानों की तब तक दिक्कतें बरकरार रहेंगी जब तक प्रत्येक गांव सड़क से नहीं जुड़ जाता।

-अशोक कुमार, बागवान

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भरमौर, होली, तीसा व सलूणी क्षेत्रों में सेब की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन जब तक सेब मंडियों में पहुंचता है तब तक सेब की क्वालिटी में फर्क आ जाता है, जिस कारण सही दाम नहीं मिल पाते हैं।

-टेक चंद, बागवान

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कई बार सेब की फसल पर मौसम की मार पड़ती है तो कई बार अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुल मिलाकर सड़क न होने से मंडियों तक सेब को पहुंचाने में काफी अधिक खर्च उठाना पड़ रहा है।

-जींद राम, बागवान

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सरकार व प्रशासन को बागवानी को बढ़ावा देने के लिए गांव-गांव तक सड़क पहुंचानी जरूरी है। यदि गांव तक सड़क पहुंचेगी तो बागवान बगीचे से सेब का तुड़ान करवाकर गाड़ी के माध्यम से उसे मंडियों तक आसानी से ले जा सकेंगे।

-कमल किशोर, बागवान

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प्रदेश सरकार द्वारा गांव-गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने का कार्य जारी है। बागवानों की समस्याओं को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बागवानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा रहा है।

-हंसराज, विधानसभा उपाध्यक्ष


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